हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार पर लीपापोती, बांग्लादेश में यूनुस सरकार ने हमलों को राजनीतिक बता झाड़ा पल्ला
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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद युनुस के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि अल्पसंख्यकों पर हमले और बर्बरता की कुल 1,769 घटनाएं दर्ज की गईं. पुलिस जांच में पाया गया कि इनमें से 1,234 घटनाएं 'राजनीतिक प्रकृति' की थीं और सिर्फ 20 घटनाएं सांप्रदायिक थीं.
बांग्लादेश सरकार ने शनिवार को एक पुलिस रिपोर्ट के हवाले से कहा कि पिछले साल 4 अगस्त के बाद से अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ अधिकांश घटनाएं 'राजनीतिक प्रकृति' की थीं, न कि 'सांप्रदायिक'. हालांकि, मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार और बांग्लादेश पुलिस के इन दावों से सवाल उठता है कि अगर हिंसा की अधिकतर घटनाएं सांप्रदायिक न होकर राजनीतिक थीं, तो फिर पीड़ित हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक ही क्यों हैं. पुलिस ने सांप्रदायिक हिंसा की सीधे शिकायतें प्राप्त करने और अल्पसंख्यक समुदाय से संपर्क बनाए रखने के लिए एक हेल्पलाइन डेस्क स्थापित किया है और व्हाट्सएप नंबर भी जारी किया है.
मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की प्रेस विंग ने यहां कहा कि पुलिस जांच 'बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद' द्वारा हाल ही में दावा किए जाने के बाद हुई है कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के 5 अगस्त को देश छोड़ने से एक दिन पहले सांप्रदायिक हिंसा की 2,010 घटनाएं हुई थीं. बता दें कि जॉब कोटा सिस्टम के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन ने शेख हसीना के 16 साल के शासन का अंत किया था.
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1,769 में से सिर्फ 20 घटनाएं सांप्रदायिक: बांग्लादेश
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि इनमें से कुल 1,769 घटनाएं हमलों और बर्बरता के रूप में दर्ज की गईं; पुलिस ने दावों के आधार पर अब तक 62 मामले दर्ज किए हैं और जांच के आधार पर कम से कम 35 दोषियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस जांच में पाया गया कि 1,234 घटनाएं 'राजनीतिक प्रकृति' की थीं, 20 घटनाएं सांप्रदायिक थीं और कम से कम 161 दावे झूठे या असत्य पाए गए.
'बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद' के दावों के अनुसार, 1,452 घटनाएं- या कुल दावों का 82.8 प्रतिशत- 5 अगस्त, 2024 को हुईं, जब हसीना को सत्ता से बेदखल किया गया था. 4 अगस्त को कम से कम 65 घटनाएं और 6 अगस्त को 70 घटनाएं हुईं. पुलिस को 5 अगस्त से 8 जनवरी, 2025 तक सांप्रदायिक हिंसा के 134 शिकायतें मिलीं. पुलिस ने उन सभी शिकायतों का अत्यंत महत्व के साथ जवाब दिया. कम से कम 53 मामले दर्ज किए गए और 65 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया.
सब-इंस्पेक्टर कमलेंदु धर ने बताया कि हम घुसपैठ के पूरे मामले की तहकीकात कर रहे हैं. यह जानने की कोशिश की जा रही है कि इनका यहां आने का मकसद क्या था और इनके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क तो नहीं है. गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान मोइनुद्दीन मियां, रिमोन मियां, रहीम अहमद और सुमन मियां के रूप में हुई है.
पीएम मोदी ने बताया, 'तिरंगा झंडा फहराने के बाद हम जम्मू आए तो मैंने जम्मू से पहला फोन मेरी मां को किया. मेरे लिए वो एक खुशी का पल था और दूसरा मन में था कि मां को चिंता होती होगी कि ये गोलियां चली हैं और ये कहां गया है. तो मुझे याद है कि मैंने पहला फोन मां को किया था. मुझे उस फोन का महत्मय आज समझ आता है. वैसी फीलिंग मुझे और कहीं नहीं आई.'
पॉडकास्ट में पीएम मोदी से पूछा गया कि क्या आपकी लाइफ में आपकी रिस्क टेकिंग एबिलिटी टाइम के साथ बढ़ रही है. प्रधानमंत्री ने जवाब दिया, 'मुझे लगता है मेरी जो रिस्क टेकिंग कैपेसिटी है उसका अभी फुल यूटिलाइजेशन हुआ ही नहीं है, बहुत कम हुआ है. मेरी बहुत रिस्क टेकिंग कैपेसिटी शायद अनेक गुना ज्यादा होगी इसका कारण है कि मुझे परवाह ही नहीं है. मैंने अपने विषय में कभी सोचा ही नहीं है और जो खुद के लिए नहीं सोचता है उसके पास रिस्क टेकिंग कैपेसिटी का कोई यानी बेहिसाब होती है मेरा केस ऐसा है. आज मैं ये नहीं हूं कल ये नहीं रहूंगा तो मेरा क्या होगा कोई लेना देना ही नहीं मेरा.'