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स्मृति ईरानी को क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिल सकती है अहम भूमिका?
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स्मृति ईरानी का नाम भारतीय जनता पार्टी के उन नेताओं में गिना जाता है जो जुझारु और धुन के पक्के हैं. राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी में वो झंडा गाड़कर बैठ गईं थीं. अंतत: उन्हें सफलता मिली. दिल्ली में आम आदमी पार्टी के खिलाफ एक ऐसी ही शख्सियत की जरूरत बीजेपी को थी. अगर दिल्ली विधानसभा चुनावों में उनकी एंट्री होती है तो जाहिर है कि कुछ नया देखने को मिलेगा.
स्मृति ईरानी का सितारा एक बार फिर बुलंदियों पर है. एक बार फिर वो लाइम लाइट में आ रही हैं. पिछले दिनों उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनावों की तैयारी में सक्रिय होते देखा गया था. अब खबर आ रही है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें प्रधानमंत्री म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (PMML) की कार्यकारी परिषद में जगह दी है. यह परिषद सीधे पीएम के नेतृत्व में काम करती है इसलिए समझा जा रहा है कि ईरानी के दिन फिरने वाले हैं. सोशल मीडिया पर पहले से ही चर्चा थी कि उन्हें दिल्ली के सीएम के रूप में प्रोजेक्ट किया जा सकता है. पर अब दिल्ली में बीजेपी बिना चेहरे के चुनाव लड़ रही है. इसलिए ये संभावना तो खत्म हो चुकी है पर जैसा इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि उन्हें पार्टी आम आदमी पार्टी के महत्वपूर्ण नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए टिकट दे सकती है. अगर ऐसा होता है तो समझ लीजिए कि बीजेपी के जीतने पर वो सीएम पद की रेस में भी होंगी. ये मैं नहीं कह रहा हूं, परिस्थितियां ही ऐसी बन रही हैं. और राजनीति अनंत संभावनाओं का खेल है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है.
पीएमएमएल कार्यकारी परिषद में एंट्री यूं ही नहीं है मिली
लोकसभा चुनाव 2024 में गांधी परि्वार के एक सिपहसलार किशोरी लाल शर्मा से बुरी तरह हारने के बाद ईरानी राजनीतिक बियांबान में चली गईं थीं. पिछले करीब छह महीनों से भी अधिक वक्त तक सुर्खियों से दूर स्मृति एक बार फिर पीएम मोदी की टीम में शामिल हो गई हैं. सरकार ने प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय की कार्यकारी परिषद का पुनर्गठन किया है. मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) की कार्यकारी परिषद में स्मृति ईरानी को जगह दी है. वे पीएम मोदी के पहले 10 साल के कार्यकाल के दौरान शिक्षा और कपड़ा मंत्री रह चुकी हैं. स्मृति ईरानी का इस लिस्ट में शामिल होना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका नेतृत्व खुद पीएम मोदी करते हैं. वो परिषद के अध्यक्ष हैं जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसके उपाध्यक्ष हैं. पीएम मोदी की टीम में जाने का मतलब है कि उन्हें और भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिल सकती हैं.
केजरीवाल, सिसौदिया और आतिशी के बाद सौरभ भारद्वाज को भी घेरने की है योजना
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की रणनीति है कि आम आदमी पार्टी के सभी बड़े नेताओं को इस तरह घेर लो कि वो खुद में ही परेशान हो जाएं. अभी तक बीजेपी की यह रणनीति सफल होती दिख रही है. नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रवेश वर्मा, सीएम आतिशी के खिलाफ रमेश बिधूड़ी को खड़ाकर बीजेपी ने इन दोनों नेताओं को बुरी तरह फंसा दिया है. मनीष सिसोदिया भी जंगपुरा में मुश्किल लड़ाई लड़ रहे हैं. बड़े नामों में बचे सौरभ भारद्वाज उन्हें फंसाने के लिए बीजेपी के पास स्मृति ईरानी से बेहतर उम्मीदवार नहीं हो सकता है. स्मृति ने राहुल गांधी को हराकर ही दम लिया था. उन्हें पार्टी की दिल्ली इकाई एक करिश्माई नेता के रूप में देख रही है. वह सौरभ भारद्वाज को कड़ी टक्कर दे सकती हैं. हालांकि, स्मृति ईरानी ने इस पर कोई भी टिप्पणी नहीं की है.
जीतने के बाद क्या सीएम भी बन सकती हैं?
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