स्कूली बच्चों को भी मतदान का अधिकार देने जा रहा है न्यूजीलैंड, विधेयक लाने की तैयारी
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न्यूजीलैंड में अभी मतदान की उम्र 18 साल है. वहां की सुप्रीम कोर्ट ने एक जजमेंट में कहा है कि वोटिंग की 18 साल की मौजूदा उम्र भेदभाव पैदा करने वाली है और ये युवाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन है.
भारत में मतदान करने की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है. पर दुनिया का एक देश 16 साल के लड़के-लड़कियों को भी वोट देने के अधिकार देने पर विचार कर रहा है. न्यूजीलैंड अपने देश में मतदान की उम्र सीमा 18 से घटाकर 16 करने जा रहा है. प्रधानमंत्री जसिंदा आर्डेन ने इसके लिए संसद में विधेयक लाने का वादा किया है.
बता दें कि आधुनिक इतिहास में न्यूजीलैंड दुनिया का ऐसा पहला देश है जिसने महिलाओं को वोटिंग का अधिकार दिया है. 19 सितंबर 1893 को न्यूजीलैंड के गवर्नर ग्लासगो ने चुनाव सुधारों से जुड़े एक नियम पर हस्ताक्षर किए. इस ऐतिहासिक कानून के परिणामस्वरूप, न्यूजीलैंड दुनिया का पहला स्वशासित देश बन गया जिसमें महिलाओं को संसदीय चुनावों में मतदान का अधिकार प्राप्त था.
न्यूजीलैंड में वोटिंग उम्र 16 साल करने पर चर्चा तब होने लगी जब वहां की सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि 18 साल की मौजूदा उम्र 'भेदभावपूर्ण' है और ये युवाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला है.
पीएम जसिंदा आर्डेन व्यक्तिगत रूप से इस बदलाव का समर्थन कर रही हैं, मतदान की आयु कम करने वाले विधेयक को संसद में पेश करने के लिए कुल सांसदों के कम से कम 75 प्रतिशत सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होगी. पर दिक्कत यह है कि जसिंदा सरकार के पास फिलहाल इस तरह के बिल को पास करवाने के लिए संख्या नहीं है.
अब न्यूजीलैंड 16 साल के किशोर-किशोरियों को वोटिंग अधिकार देने जा रहा है. 16 साल की उम्र में लड़के-लड़कियां स्कूल में होते हैं. 16 साल की आयु वो होती है जब बच्चे अमूमन 10वीं, 11वीं और 12वीं में होते हैं.
बता दें कि न्यूजीलैंड की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि किशोर-किशोरियों को जलवायु संकट जैसे मुद्दों पर मतदान करने में सक्षम होना चाहिए, क्योंकि आगे चलकर देश का नेतृत्व उनके और उनके भविष्य पर प्रभाव डालने से जुड़े फैसले लेगा, इसलिए ये किशोर-किशोरियां किसे वोट कर रहे हैं, किन नीतियों को वोट कर रहे हैं ये उन्हें पता होना चाहिए.
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