सूरज से मिलीं आदित्य की नजरें, ISRO की बड़ी कामयाबी... पांच महीने बाद L1 प्वाइंट पर पहुंचा यान
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ISRO ने सूरज की स्टडी करने वाले सोलर प्रोब Aditya को L1 को प्वाइंट पर सफलतापूर्वक पहुंचा दिया है. यान को L1 प्वाइंट के चारों तरफ मौजूद हैलो ऑर्बिट में डाल दिया गया है. अब धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर से आदित्य सैटेलाइट सूरज की स्टडी अगले पांच साल तक करता रहेगा.
ISRO नए साल पर रच दिया इतिहास. भारत का Aditya सैटेलाइट L1 प्वाइंट के हैलो ऑर्बिट में इंसर्ट कर दिया गया है. अब भारत के पहले सोलर ऑब्जरवेटरी की धरती से दूरी 15 लाख km है. 2 सितंबर 2023 को शुरू हुई आदित्य की यात्रा खत्म हो चुकी है. 400 करोड़ रुपए का ये मिशन अब भारत समेत पूरी दुनिया के सैटेलाइट्स को सौर तूफानों से बचाएगा.
आदित्य की यात्रा 2 सितंबर 2023 को को शुरू हुई थी. पांच महीने बाद 6 जनवरी 2024 की शाम ये सैटेलाइट L1 प्वाइंट पर पहुंच गया. इस प्वाइंट के चारों तरफ मौजूद सोलर हैलो ऑर्बिट (Solar Halo Orbit) में तैनात हो चुका है. हैलो ऑर्बिट में डालने के लिए Aditya-L1 सैटेलाइट के थ्रस्टर्स को थोड़ी देर के लिए ऑन किया गया. इसमें कुल मिलाकर 12 थ्रस्टर्स हैं.
India creates yet another landmark. India’s first solar observatory Aditya-L1 reaches it destination. It is a testament to the relentless dedication of our scientists in realising among the most complex and intricate space missions. I join the nation in applauding this…
अब आदित्य सूरज की स्टडी कर रहे NASA के चार अन्य सैटेलाइट्स के समूह में शामिल हो चुका है. ये सैटेलाइट्स हैं- WIND, Advanced Composition Explorer (ACE), Deep Space Climate Observatory (DSCOVER) और नासा-ESA का ज्वाइंट मिशन सोहो यानी सोलर एंड हेलियोस्फेयरिक ऑब्जरवेटरी है.
L1 प्वाइंट पर डालना था बेहद रिस्की और चुनौतीपूर्ण
आदित्य को L1 प्वाइंट पर डालना एक चुनौतीपूर्ण काम था. इसमें गति और दिशा का सही तालमेल जरूरी था. इसके लिए इसरो को यह जानना जरूरी था कि उनका स्पेसक्राफ्ट कहां था. कहां है. और कहां जाएगा. उसे इस तरह ट्रैक करने के प्रोसेस को ऑर्बिट डिटरमिनेशन (Orbit Determination) कहते हैं.
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