![सुनामी में सबकुछ खोया, अब छात्रों को दे रहीं फ्री UPSC कोचिंग... वासुकी विनोथी की कहानी](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202502/67a1f276847b0-vasuki-vinothi-file-photo-045652142-16x9.jpeg)
सुनामी में सबकुछ खोया, अब छात्रों को दे रहीं फ्री UPSC कोचिंग... वासुकी विनोथी की कहानी
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सुनामी के बाद वासुकी विनोथी 15 साल की थीं तब उनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया. वासुकी विनोथी ने उस समय को याद करते हुए कहा कि मैं अपनी झोपड़ी के अंदर थी, तभी तेज आवाज सुनी, मुझे लगा कि यह बम विस्फोट है लेकिन जब मैं अपनी झोपड़ी से बाहर आई, तो मैंने देखा कि पानी का विशाल लहर मेरी ओर बढ़ रहा था और एक पल में ही सब कुछ ख़त्म हो गया.
दो दशक पहले आई सुनामी में अपना सबकुछ गंवा देने वाली वासुकी विनोथी अब छात्रों के लिए उम्मीद की किरण बन गई हैं. नई पीढ़ी को अच्छा भविष्य मिले वो उसके लिए मुफ्त कोचिंग सेंटर चला रही हैं. वासुकी तटीय और आदिवासी क्षेत्रों के छात्रों के लिए UPSC और TNSPC की तैयारी कराती हैं. वो अपनी पहल से तटीय क्षेत्र के छात्रों के लिए आशा की अलख बनी हैं.
वो जब 15 साल की थीं तब उनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया. उन्होंने उस समय को याद करते हुए कहा कि मैं अपनी झोपड़ी के अंदर थी, तभी तेज़ आवाज़ सुनी, मुझे लगा कि यह बम विस्फोट है लेकिन जब मैं अपनी झोपड़ी से बाहर आई, तो मैंने देखा कि पानी का विशाल लहर मेरी ओर बढ़ रहा था और एक पल में ही सब कुछ ख़त्म हो गया.
नियति ने सब कुछ बदल दिया
वासुकी विनोथी ने उस समय को याद करते हुए कहा कि मैं जब होश में आई, मैंने अपने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों को डूबे हुए देखा, उन सबकी मौत हो गई थी. एक और विशाल लहर हमारे पास आई, मैं मौत की ओर देख रही थी लेकिन बुजुर्गों ने मुझे बाहर निकाला और सुरक्षित स्थान पर ले गए. उन्होंने आगे कहा कि ये 26 दिसंबर था और नियति ने सब कुछ बदल दिया था.
वासुकी विनोथी ने कहा कि दो साल तक हमारे पास कुछ नहीं था. हमारी नावें, जाल, झोपड़ी, सब कुछ नष्ट हो गया था. हर दिन हमें अपना पेट भरने के लिए किसी न किसी पर निर्भर रहना पड़ता था. अनगिनत बार मैं भोजन की प्रतीक्षा में हाथ में थाली लेकर कतार में खड़ी हुई हूं.
समाज में कई तरह की बाधाएं थी वासुकी ने कहा कि फिर मैंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया और एक प्रतिभाशाली छात्रा बनीं. लेकिन संघर्ष यहीं ख़त्म नहीं हुआ. हमारा समुदाय बहुत एकांत है और दूसरों के साथ ज्यादा बातचीत नहीं करता है, मेरा गांव, अक्कराईपट्टी तीन तरफ से नदी और चौथे छोर पर समुद्र से घिरा हुआ था. जब मैं तीन साल की थी तब मैंने अपनी माँ को खो दिया. वह बच्चे को जन्म देते समय मर गई और मेरा भाई भी जीवित नहीं बचा.
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