
सऊदी अरब को अंजाम भुगतने की धमकी देने के बाद कैसे घुटने पर आया सुपरपावर अमेरिका
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अक्टूबर 2022 में तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस की ओर से तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा के बाद सऊदी अरब और अमेरिका के रिश्तों में तनाव चरम पर था. अमेरिका ने सऊदी अरब को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी. लेकिन तीन महीने बाद भी सऊदी अरब और उसके क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के खिलाफ अमेरिका ने कोई कार्रवाई नहीं की है.
कहा जाता है कूटनीति में कोई भी देश न तो परमानेंट दोस्त होता है और न ही परमानेंट दुश्मन. कूटनीति में सब कुछ समय तय करता है. सऊदी अरब और अमेरिका के बीच रिश्ते को भी इसी नजरिये से देखा जा सकता है. अमेरिकी अखबार 'द वाल स्ट्रीट जर्नल' ने खुलासा किया है कि अमेरिका ने सऊदी अरब के खिलाफ दी धमकी को वापस ले लिया है.
तीन महीने पहले अक्टूबर 2022 को याद करिए. अमेरिका की एक बेमिसाल दोस्त देश सऊदी अरब से तनातनी सुर्खियों में थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की लाख कोशिश के बावजूद तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस ने अमेरिका को झटका देते हुए अक्टूबर में तेल उत्पादन में कटौती करने का निर्णय लिया था. ओपेक प्लस में सऊदी अरब का दबदबा माना जाता है. अमेरिका में मध्यावधि चुनाव के समय ओपेक प्लस का यह निर्णय बाइडेन सरकार के लिए एक आर्थिक झटका था.
अमेरिका ने दी थी चेतावनी
ओपेक प्लस समूह में रूस भी एक सदस्य है. ओपेक समूह के इस निर्णय को रूस समर्थित निर्णय का आरोप लगाते हुए अमेरिका ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. राष्ट्रपति बाईडेन ने सऊदी अरब को चेतावनी देते हुए कहा था कि सऊदी अरब को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
इसके अलावा एक अन्य अमेरिकी सांसद ने कहा था कि अमेरिका को सऊदी अरब के साथ अपने सभी संबंधों को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर देना चाहिए.

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