
सऊदी अरब के इस ऐलान से मची पूरी दुनिया में खलबली, भारत की भी बढ़ेगी टेंशन
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सऊदी अरब ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि वो तेल की कीमतों को रोकने के लिए कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ाएगा. उसका कहना है कि देश पर्याप्त मात्रा में कच्चे तेल का उत्पादन कर रहा है. सऊदी अरब की माने तो, तेल की कीमतें बढ़ने का कारण तेल की रिफाइनरी में कम निवेश करना है.
पेट्रोलियम के दाम बढ़ने से विश्व के सभी देश महंगाई की चपेट में हैं. अमेरिका में भी महंगाई बढ़ती जा रही है लेकिन तेल के बड़े निर्यातक कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी लाने पर किसी तरह राजी नहीं दिख रहे हैं. दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक सऊदी अरब ने स्पष्ट कर दिया है कि वो तेल की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाएगा. सऊदी के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान का तो ये कहना है कि तेल की कोई कमी नहीं है फिर कच्चे तेल का उत्पादन किस आधार पर बढ़ाया जाए.
सऊदी नहीं बढ़ाएगा तेल का उत्पादन
बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिंस फैसल बिन फरहान ने मंगलवार को दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में कहा, 'जहां तक हम जानते हैं, तेल की कोई कमी नहीं है. सऊदी अरब इस मामले में जो कर सकता था, वो उसने किया है.'
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा कच्चा तेल निर्यातक है. मार्च में IEA ने तेल की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के प्रयास में स्टॉक से अधिक तेल जारी करने के लिए 10-सूत्रीय योजना तैयार की थी.
दुनियाभर में तेल की कीमतों में उछाल की एक बड़ी वजह रूस-यूक्रेन युद्ध है. रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में से एक है. यूक्रेन पर आक्रमण के कारण रूसी तेल पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए जिससे वैश्विक बाजार में तेल की कमी हो गई. कच्चे तेल की कीमतें पिछले साल की तुलना में 70 प्रतिशत बढ़ी हैं. जो कच्चा तेल 110 डॉलर प्रति बैरल था, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद उस पर अब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है.
सऊदी के विदेश मंत्री ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में स्पष्ट किया कि उनका देश कच्चे तेल के उत्पादन में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं करेगा. उन्होंने कहा, 'हमारा आकलन है कि वास्तव में अभी तेल की आपूर्ति अपेक्षाकृत संतुलित है. लेकिन हमारे सामने जो समस्या है, वो कच्चे तेल को बाजार में लाने से कहीं अधिक मुश्किल है.'

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