वो मुस्लिम देश, जो गैर-मजहब में शादी पर नहीं लगाता रोकटोक, क्या हैं इस्लाम में शादी के नियम?
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पूरे अरब में ट्यूनीशिया वो पहला देश है, जिसे अपने यहां की मुस्लिम युवतियों के गैर-मुसलमान युवकों से शादी करने पर कोई परेशानी नहीं. सितंबर 2017 में इस देश ने कानून बनाकर गैर-मजहब में शादी को हरी झंडी दे दी. इसके बाद तुर्की का नंबर आता है. इनके अलावा सारे मुस्लिम-बहुल देश ऐसी शादियों को तब तक नहीं मानते, जब तक पुरुष भी इस्लाम न अपना लें.
पाकिस्तान से कथित प्रेम के लिए सरहद पार करके आई सीमा हैदर पर इंटेलिजेंस की आंखें लगी हुई हैं. सीमा की कई बातें गोलमोल हैं और अंदाजा लगाया जा रहा है कि शायद उसे वापस पाकिस्तान भेज दिया जाए. इधर महिला का कहना है कि लौटाने पर उसे अपने ही लोग मार डालेंगे क्योंकि उसने हिंदुस्तान आकर हिंदू युवक से शादी की. पाकिस्तान में मुस्लिम महिला, गैर-मुस्लिम युवक से विवाह नहीं कर सकती है, जब तक कि युवक धर्म ना बदल ले. बल्कि उस देश से हिंदू लड़कियों को उठाने और उनका धर्म बदलने की खबरें भी आती रहती हैं.
सीमा के साथ मामला और पेचीदा है. वो पहले से शादीशुदा और चार बच्चों की मां भी है. उसने अपने पहले पति को तलाक दिए बिना चुपके से नेपाल पहुंचकर सचिन से शादी कर ली और फिर भारत आ गई. पाकिस्तानी कानून में ये व्याभिचार है. हुदूद आर्डिनेंस में इसके तहत जेल से लेकर मौत की सजा भी हो सकती है.
ज्यादातर मुस्लिम-बहुल देश दूसरे धर्म में शादी को अच्छा नहीं मानते, लेकिन अगर कोई संबंध रखना ही चाहे, तो मुस्लिम युवकों को थोड़ी छूट मिली हुई है. वे ईसाई या यहूदी लड़की से विवाह कर सकते हैं. मुसलमान लड़कियों को अपने ही धर्म में जुड़ना होता है. वक्त के साथ इस नियम में थोड़ी ढील मिली. कहा गया कि महिलाएं भी गैर-धर्म के पुरुषों से शादी कर सकती हैं अगर दूसरा पक्ष अपना मजहब छोड़ने को राजी हो जाए और इस्लाम कुबूल कर ले.
उत्तरी अफ्रीका के देश ट्यूनीशिया ने इसमें बड़ा बदलाव किया. वहां साल 2017 में तत्कालीन ट्यूनीशियाई राष्ट्रपति बेजी केड एसेब्सी ने पुराने नियम को निरस्त कर दिया. साल 1973 में बना ये नियम कहता था कि इस्लाम कुबूल करने के बाद ही कोई पुरुष किसी मुसलमान महिला से शादी कर सकता है. इसके बाद भी वहां इमाम और स्थानीय कानून के जानकार लंबे समय तक इसमें रोड़ा अटकाते रहे.
इस तरह का मामला आते ही नोटरी शादी कराने से इनकार करने लगे. ऐसे कई मामले ट्यूनीशिया में काफी चर्चा में रहे थे. लेकिन इसके बाद भी ट्यूनीशिया पूरे मिडिल ईस्ट और उत्तर अफ्रीका का वो पहला देश बना रहा, जिसने कानूनी तौर पर अपनी मर्जी से शादी को मान्यता दी.
काफी छोटे और बाकी अरब देशों के मुकाबले कमजोर समझे जाते इस देश में कई बड़े बदलाव हुए. जैसे यहां कोड ऑफ पर्सनल स्टेटस लागू हुआ, जो महिलाओं की आजादी की बात करता है. जनवरी 1957 में लागू हुए इस कानून को मौजूदा पीएम हबीब बोरगुइबा लेकर आए थे. इसके बाद आने वाले राष्ट्रपति और प्रधानमंत्रियों ने इसे खत्म नहीं किया, बल्कि और मॉडर्न बनाते चले गए.
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