
वियतनाम युद्ध में जली इस बच्ची की फोटो हुई थी वायरल, 50 साल बाद बदली लाइफ
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वियतनाम युद्ध का चेहरा बनी नेपालम गर्ल को युद्ध के 50 सालों बाद युद्ध में मिले घाव से छुटकारा मिला है. अमेरिका की तरफ से गिराए गए नेपालम बम की चपेट में आकर वो बुरी तरह जल गई थीं. एपी के पत्रकार ने उनकी एक तस्वीर ली थी जो विश्वभर में चर्चा का विषय बनी थी. इसके बाद पत्रकार उन्हें डॉक्टर के पास ले गए थे जिससे उनकी जान बच पाई थी.
अमेरिका ने वियतनाम युद्ध में जो तबाही मचाई, उसके निशान अब भी वियतनाम और वहां के लोगों के बीच मौजूद हैं. युद्ध में अमेरिका ने खतरनाक रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया जिसमें लाखों लोगों की मौत हो गई. जो लोग बच गए, उनके शरीर पर भी युद्ध की विभीषिका ने ऐसे जख्म दिए जो आज भी ताजे हैं. उन्हीं लोगों में शामिल थीं नौ साल की किम फूक फान ती जो अमेरिकी विमानों द्वारा गिराए गए नेपालम रासायनिक बमों से बुरी तरह जल गई थीं.
बम गिरने के बाद बच्चों के बीच दौड़ती उनकी एक तस्वीर वियतनाम युद्ध का चेहरा बन गई थी. तस्वीर वायरल होने के बाद वो विश्वभर में 'नेपालम गर्ल' (Napalam Girl) के नाम से मशहूर हुईं.
अब अमेरिका-वियतनाम युद्ध के 50 सालों बाद फान ती की जली हुई त्वचा का इलाज पूरा हुआ है जिससे वो बेहद खुश हैं. उनकी गर्दन पर जले का गंभीर निशान था जो कि अब जाकर सर्जरी के बाद ठीक हुआ है और उन्हें दशकों के दर्द से छुटकारा मिला है. 1972 में, अमेरिका-वियतमान युद्ध के दौरान एक फोटो जर्नलिस्ट ने फान ती की वो तस्वीर खींची थी जब नौ साल की फान ती सड़क पर अन्य बच्चों से बीच भाग रही थीं. अमेरिकी विमानों द्वारा गिराए गए चार नेपालम बमों के कारण उनका शरीर आग से झुलस रहा था और जले हुए कपड़े उनके शरीर से चिपके थे.
तस्वीर एसोसिएटेड प्रेस के फोटोग्राफर निक यूट ने ली थी जिसके लिए उन्होंने पुलित्जर पुरस्कार जीता था. निक ने ही तस्वीर लेने के बाद बुरी तरह से जल चुकी फान को बचाया था.
अमेरिका ने जब नेपालम रासायनिक हथियार वियतनाम पर गिराए तब फान ती उसकी चपेट में आ गईं और बुरी तरह जल गईं. फान के घाव इतने गंभीर थे कि डॉक्टरों ने कह दिया था कि वो अब नहीं बचेंगी. फान का एक साल तक खूब इलाज किया गया जिसके बाद उनका स्वास्थ्य स्थिर हुआ.
कई सालों के उपचार के बाद उनके जख्म थोड़े ठीक हुए और वो 1992 में वियतनाम छोड़कर अपने पति के साथ कनाडा चली गईं. वो अब भी कनाडा में रहती हैं. कनाडा आने के बाद भी अपने जले हुए शरीर के दर्द से वो उबर नहीं पाईं और लगातार उनका इलाज चलता रहा. वो इलाज के लिए अमेरिका के मियामी में सर्जन डॉ जिल जवाइबेल से मिलीं जिन्होंने फान ती का इलाज शुरू किया. बाद में डॉ जिल मुफ्त में फान ती का इलाज करने के लिए राजी हो गए.

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