रूस के खिलाफ पहली बार भारत ने उठाया यह कदम, क्या करेंगे पुतिन?
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रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग के बीच भारत ने यूएन की सिक्योरिटी काउंसिल की ओर से आयोजित एक बैठक में पहली बार रूस के खिलाफ वोटिंग की है. भारत का यह कदम काफी चौंकाने वाला है, क्योंकि इस युद्ध को लेकर भारत ने अभी तक एक देश की ओर अपना पक्ष नहीं रखा था.
भारत ने पहली बार यूएन की सिक्योरिटी काउंसिल में यूक्रेन का पक्ष लेते हुए रूस के खिलाफ प्रक्रियात्मक वोटिंग की है. दरअसल, रूस और यूक्रेन में पिछले कई महीनों से युद्ध जारी है, जिसकी वजह से दुनिया के काफी देश दो धड़े में बंट गए हैं. कई देशों ने इस युद्ध में यूक्रेन का साथ दिया है तो कई रूस के साथ खड़े हैं. लेकिन भारत ने शुरू से ही किसी एक ओर अपना पक्ष नहीं रखा है. भारत लगातार युद्ध को गलत बताते हुए बातचीत के जरिए विवाद का हल निकालने के लिए कह रहा है.
वोटिंग के दौरान यूएन की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को वीडियो टेलीकॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया. खास बात है कि जब से दोनों देशों में युद्ध शुरू हुआ है, ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत की ओर से किसी एक पक्ष में वोटिंग की गई है.
शुरुआत से भारत किसी एक पक्ष को सही ठहराने से बच रहा था और रूस के लिए अपनी कड़ी प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था, इस कारण अमेरिका जैसे कई पश्चिम देश भी भारत से खुश नहीं थे.
इस बीच जब भारत ने रूस से तेल खरीदना और शुरू किया तो पश्चिम देशों की यह नाराजगी और ज्यादा बढ़ गई थी. ऐसे में पहली बार रूस के खिलाफ वोट देकर भारत ने सबको चौंका दिया है. अब यह देखना होगा कि भारत को मित्र देश बताने वाले रूस की इस कदम पर क्या प्रतिक्रिया रहेगी.
भारत रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान लगातार कूटनीति और बातचीत के जरिए शांति स्थापना की अपील कर रहा था . एक भी बार भारत ने दोनों देशों में से किसी एक को लेकर अपना पक्ष नहीं रखा था. इसी वजह से भारत की रूस के खिलाफ वोटिंग ने सभी को हैरान कर दिया है.
यूएनएससी में नई दिल्ली दो साल के लिए अस्थायी सदस्य है. भारत का कार्यकाल दिसंबर में खत्म हो रहा है. सुरक्षा परिषद ने यूक्रेन की आजादी की 31वीं वर्षगांठ के मौके पर 6 महीने से जारी रूस के साथ युद्ध की समीक्षा के लिए बुधवार को बैठक की थी जिसमें सभी सदस्य देशों से प्रक्रियात्मक वोटिंग कराई गई थी. प्रक्रियात्मक मतदान (procedural voting) का मतलब है कि यूएनएससी के स्थायी सदस्य के किसी प्रस्ताव पर वीटो करने के बावजूद उसे स्वीकार कर लिया जाए. कुछ मामलों में ही इस तरह की वोटिंग कराई जाती है.
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