
रूस की नैय्या यूं पार लगा रहे हैं भारत और चीन, की ये बड़ी मदद
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एशिया में निर्यात किए जाने वाले रूस के प्रमुख कच्चे तेल ईएसपीओ ब्लेंड की कीमत में एक बार फिर उछाल देखने को मिला है. भारत और चीन जैसे रूस के तेल के शीर्ष खरीदारों की ओर से मांग बढ़ने के बीच ऐसा हुआ है. यूरोप में निर्यात होने वाले रूस के यूरल्स तेल की कीमतों में भी धीरे-धीरे सुधार हो रहा है.
एशिया में निर्यात किए जाने वाले रूस के प्रमुख कच्चे तेल ईएसपीओ ब्लेंड (ESPO Blend) की कीमत में दोबारा उछाल देखने को मिला है. ट्रेडर्स का कहना है कि भारत और चीन जैसे रूस के तेल के शीर्ष खरीदारों की ओर से मांग बढ़ने के बीच यह उछाल आया है. इससे पहले ईएसपीओ ब्लेंड तेल की कीमत अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी. पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा है.
रूस के लोडिंग पोर्ट कोजमिनो से निर्यात किए गए कच्चे तेल की कीमत में गिरावट देखी गई थी लेकिन मई में तेल पर 20 डॉलर प्रति बैरल से अधिक की रिकॉर्ड छूट दी गई. दरअसल यूक्रेन पर हमले की वजह से पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे.
हालांकि, यूरोपीय यूनियन ने पिछले महीने रूस पर प्रभावी हुए प्रतिबंधों में बदलाव किया है. रूस की सरकारी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट (Rosneft) और गैजप्रोमनेफ्ट (Gazpromneft) से तेल की खेपों के भुगतान पर लगे प्रतिबंधों में ढील दे दी है.
सूत्रों का कहना है कि सितंबर के अंत से अक्टूबर की शुरुआत के बीच लोड की गई तेल की दो खेपों को मिडिल ईस्ट बेंचमार्क दुबई पर समान कीमत पर बेचा गया. भारतीय और चीन की स्वतंत्र तेल रिफाइनरीज को इन खेपों की कीमत मिडिल ईस्ट से मिलने वाले तेल की तुलना में अधिक सस्ती लगी. जबकि दोनों के तेल की गुणवत्ता एक जैसी ही थी.
इसके विपरीत सितंबर में होने वाली लोडिंग के लिए अबू धाबी का मुरबान क्रूड 12-13 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर बेचा गया.
सूत्र ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर ब्लूमबर्ग को बताया, एशिया की तेल रिफाइनरीज के बीच रूस का तेल बहुत लोकप्रिय है.

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