'रात को अंधेरा करके अपनी आत्मा को टटोलना…', राज्यसभा में किससे और क्यों बोले अमित शाह
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अमित शाह ने कहा कि बीजेपी ने अपने 16 वर्षों के शासन में 22 संविधान संशोधन किए, जबकि कांग्रेस ने अपने 55 वर्षों के शासनकाल में 77 संविधान संशोधन किए. यानी दोनों दलों ने अपनी सरकार के दौरान संविधान में बदलाव किए, लेकिन इन बदलावों के पीछे का उद्देश्य क्या था इसे जानना जरूरी है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को राज्यसभा में 'भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा' विषय पर चर्चा में शामिल हुए. उन्होंने अपने भाषण में देश की प्रगति पर भारतीय संविधान के परिवर्तनकारी प्रभाव का उल्लेख किया. केंद्रीय गृह मंत्री ने भाजपा पर संविधान बदलने का प्रयास करने के विपक्ष के आरोप पर प्रहार करते हुए कहा कि 'संविधान में ही संविधान संशोधन का प्रावधान' है.
अमित शाह ने कहा कि बीजेपी ने अपने 16 वर्षों के शासन में 22 संविधान संशोधन किए, जबकि कांग्रेस ने अपने 55 वर्षों के शासनकाल में 77 संविधान संशोधन किए. यानी दोनों दलों ने अपनी सरकार के दौरान संविधान में बदलाव किए, लेकिन इन बदलावों के पीछे का उद्देश्य क्या था इसे जानना जरूरी है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के संविधान संशोधन सत्ता में बने रहने के लिए नहीं बल्कि जनहित के उद्देश्यों, देश की सुरक्षा से संबंधित थे. उन्होंने कांग्रेस पर अपनी सत्ता बरकरार रखने और जनहित के खिलाफ बहुत सारे संविधान संशोधन करने के आरोप लगाए.
अमित शाह ने लेफ्ट सांसदों से कही आत्मा टटोलने की बात
इसी कड़ी में अमित शाह ने 39वें संविधान संशोधन का जिक्र किया और वामपंथी दलों की चुटकी ली. अमित शाह ने कहा, '39वां संविधान संशोधन इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में हुआ था. यह क्यों किया गया था? इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी के चुनाव को निरस्त कर दिया था. उन्होंने संविधान में संशोधन करके प्रधानमंत्री पद की न्यायिक जांच पर प्रतिबंध लगा दिया... मतलब आपको जो करना है करो, न्यायिक जांच नहीं हो सकती.'
अमित शाह ने वामपंथी दलों पर कटाक्ष करते हुए कहा, 'ये जो अधिकारों की गुहार लेकर घूमते हैं, मेरे कम्युनिस्ट भाई, मैं उनको पूछना चाहता हूं- किसके साथ बैठे हो? रात में अंधेरा करके कभी अपने आत्मा को टटोलना भईया, मालूम पड़ेगा. और 39वां संविधान संशोधन रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट से किया गया, जिसका मतलब है कि कोई पुराना भी मुकदमा है, तो वो खारिज हो जाएगा. ऐसा कहीं होता है? हमारे प्रधानमंत्री तो कहते हैं, मैं पीएम नहीं प्रधानसेवक हूं. और कोई कहता है कि मुझ पर मुकदमा नहीं हो सकता, क्योंकि मैं शासक हूं. शासक के खिलाफ उंगली नहीं उठाई जाती, भले ही संविधान ने अधिकार दिया, वो अधिकार हम समाप्त कर देते हैं.'
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अमित शाह ने कहा, 'ये लोग कहते हैं कि मुस्लिम पर्सनल लॉ का अधिकार मिले तो हमें आपत्ति नहीं है. तो फिर पूरा शरिया लागू करिए. क्रिमिनल में क्यों शरिया निकाल दिया. क्या चोरी करने पर हाथ काट दोगे, कोई महिला के साथ जघन्य अपराध करे तो पत्थर मारकर मार दोगे, देशद्रोही को रोड पर सूली चढ़ाओगे तो निकाह के लिए पर्सनल लॉ, वारिस के लिए पर्सनल लॉ और क्रिमिनल शरिया क्यों नहीं? अगर उनको देना ही है तो पूरा दे देते.'