
यहां हम 8 लोग रहते थे और आज...75 साल बाद पाकिस्तान में पुश्तैनी घर देख रीना छिब्बर हुईं इमोशनल
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भारतीय महिला रीना छिब्बर वर्मा 75 साल पहले बंटवारे के बाद अपने परिवार के साथ रावलपिंडी का अपना घर छोड़कर भारत आ गई थीं. उस समय रीना की उम्र महज 15 साल थी. वह भारत आ गई लेकिन उनका दिल रावलपिंडी में उनके पुश्तैनी घर में ही रहा. अब रावलपिंडी के अपने घर का दीदार कर उन्होंने अपने सपने को पूरा कर लिया है.
भारतीय महिला रीना छिब्बर वर्मा लंबे इंतजार के बाद पाकिस्तान के रावलपिंडी में अपने घर का दीदार कर चुकी हैं लेकिन यहां बिताए बचपन के पल अभी भी उनके जेहन में हैं. वह 75 साल पहले यहां गुजारे पलों को याद करते हुए गमगीन हो जाती हैं. पाकिस्तान में उन्हें बेशुमार प्यार मिल रहा है, लोग बंटवारे से पहले की उनकी जिंदगी के बारे में जानना चाहते हैं.
पाकिस्तानी मीडिया में भी रीना छिब्बर की कहानी को तरजीह दी जा रही है. पाकिस्तानी टीवी चैनल पीटीवी न्यूज ने रीना छिब्बर को एक इंटरव्यू के लिए भी बुलाया. पीटीवी न्यूज एंकर ने रीना छिब्बर का परिचय कराते हुए कहा, आप बहुत खूबसूरत हैं. दूसरे एंकर ने भी तपाक से कहा कि वह बहुत प्यारी हैं.
इंटरव्यू में रीना ने 75 साल के इस इंतजार को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि इंसान अपना बचपन जहां गुजारता है, उस जगह को नहीं भूल पाता. रावलपिंडी हमेशा मेरे दिल में रहा. मैं पूरी जिंदगी भारत में गुजार दी लेकिन रावलपिंडी का यह घर मेरे दिल में रहा. मैं अभी भी अपना होमटाउन रावलपिंडी ही बताती हूं और हर जगह अपना होमटाउन रावलपिंडी ही लिखती हूं.
रावलपिंडी के अपने घर प्रेम निवास को 75 साल बाद पहली बार देखने पर उनके मन में किस तरह के ख्यालात आए. इसके बारे में वह बताती हैं कि मैं अपने स्वागत से बहुत खुश थी लेकिन घर को पहली बार देखने पर उदास हो गई थी क्योंकि मैं अपने पूरे परिवार को याद कर रही थी. घर में घुसते ही मैं अपने मां, बाप, भाई बहनों को याद कर रही थी. अचानक से उनकी यादें ताजा हो गईं. आज मैं उस घर में अकेली थी लेकिन मेरे परिवार का कोई शख्स नहीं था. इस घर में हम आठ लोग इकट्ठा रहा करते थे.
उन्होंने कहा कि खुशी इस बात की भी है कि यह घर लगभग वैसा ही दिखता है, जैसा 75 साल पहले दिखा करता था. इसमें ज्यादा बदलाव नहीं हुआ.
रीना कहती हैं कि पाकिस्तान से भारत पहुंचने पर हमने एक नई जिंदगी की शुरुआत की. सब कुछ अचानक से हुआ था, तो अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए थे लेकिन 20 साल की उम्र के बाद मैंने सोचना शुरू कर दिया था कि मुझे रावलपिंडी के अपने घर जरूर जाना है.

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