
मिस्र का मददगार बनेगा भारत, आर्थिक मोर्चे पर झेल रहा है चुनौतियां
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भारत अप्रैल 2022 से मिस्र को रियायती दरों पर सैकड़ों टन गेहूं उपलब्ध करा रहा है. अप्रैल 2022 में भारत और मिस्र के बीच 10 लाख टन गेहूं की सप्लाई को लेकर बात हुई थी. लेकिन मई में भारत खुद गेहूं की किल्लत से जूझ रहा था, जिसका नतीजा यह हुआ है कि मोदी सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी. लेकिन इसके बावजूद भारत ने कई देशों को गेहूं भेजना जारी रखा, जिसमें मिस्र भी शामिल था.
भारत ने 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर पहली बार किसी अरब देश के मुखिया को चीफ गेस्ट कै न्योता दिया. मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी गुरुवार को गणतंत्र दिवस परेड के गवाह बने. वह ऐसे समय पर भारत पहुंचे, जब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे हो गए हैं.
मिस्र के राष्ट्रपति के भारत आने को एक कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है जबकि सच्चाई यह है कि इस समय मिस्र को भारत की दोस्ती की सबसे अधिक दरकार है. मिस्र के हालात ऐसे हैं कि उसने बदहाली के मामले में पाकिस्तान को भी पीछे छोड़ दिया है.
पाकिस्तान से भी बुरे दौर से गुजर रहा मिस्र
मिस्र भयंकर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. इसे उसका अब तक का सबसे बुरा दौरा बताया जा रहा है. महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहे मिस्र के लोग दाने-दाने को तरस रहे हैं. देश में महंगाई दर 20 फीसदी के पार चली गई है. मुद्रा लगातार गोते खा रही है. मिस्र के लोग महंगाई से इतने त्रस्त हैं कि दाने-दाने को जूझ रहे हैं. हालात इतने बुरे हैं कि सरकार ने बैंकों से पैसे निकालने की सीमा सीमित कर दी है. रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना ने मिस्र की कमर तोड़ दी है.
एक तरफ गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी जैसी दिक्कतें मुंह बाए खड़ी हैं तो दूसरी तरफ भ्रष्टाचार और अंदरूनी कलह भी जिम्मेदार है. रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से देश का पर्यटन क्षेत्र चौपट हो गया है. पर्यटन से मिस्र की अर्थव्यवस्था को सबसे अधिक लाभ होता था.
मिस्र के हालात भी किसी से छिपे नहीं है. कोरोना के बाद मिस्र में बदहाली का दौर है. मिस्र के अंदरूनी हालात इतने खराब हैं कि उसे कर्जा तक नहीं मिल पा रहा है. औसे में मोदी सरकार ने मिस्र के साथ रक्षा सहित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए है.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.