मिल्कीपुर उपचुनाव में योगी और अखिलेश ही नहीं, सांसद अवधेश प्रसाद की साख भी दांव पर है | Opinion
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समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने मिल्कीपुर की जिम्मेदारी अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद को दे डाली है, क्योंकि, उम्मीदवार तो उनका बेटा ही है. और, इसलिए ये चुनाव उनके लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है - योगी आदित्यनाथ के लिए मिल्कीपुर तो ‘बदलापुर’ ही बन गया है.
मिल्कीपुर की लड़ाई सीधे सीधे समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच है, मतलब - चुनाव मैदान में कोई भी नाम हो, मुकाबला तो अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच ही है.
कांग्रेस, कहने भर को, समाजवादी पार्टी के साथ है, और बहुजन समाज पार्टी मैदान से बाहर हो गई है. शुरू में बीएसपी ने अपने उम्मीदवार का नाम जरूर बताया था, लेकिन यूपी की 9 सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद मायावती ने कदम पीछे खींच लिये.
मिल्कीपुर एससी के लिए सुरक्षित विधानसभा सीट है, समाजवादी पार्टी के विधायक रहे अवधेश प्रसाद के फैजाबाद सीट से लोकसभा सांसद बन जाने से खाली हुई इस सीट पर अब 5 फरवरी को मतदान होने जा रहा है. मिल्कीपुर में भी चुनाव 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के साथ होना था, लेकिन 2022 में बीजेपी उम्मीदवार रहे बाबा गोरखनाथ की याचिका अदालत में लंबित होने के कारण चुनाव आयोग ने भी होल्ड कर लिया था. बाबा गोरखनाथ के याचिका वापस ले लेने के बाद ही चुनाव का रास्ता साफ हो पाया - और अब 8 फरवरी तक नतीजे भी आ जाने की संभावना है.
ऐसे में जबकि बेटा चुनाव लड़ रहा है, और समाजवादी सांसद को राष्ट्रीय स्तर पर अयोध्या के सांसद के रूप में अखिलेश यादव के साथ साथ राहुल गांधी ने भी प्रोजेक्ट किया है, मिल्कीपुर उपचुनाव से अवधेश प्रसाद की भी प्रतिष्ठा जुड़ गई है - जिससे उनकी भी साख दांव पर लगती है.
अवधेश प्रसाद का चुनाव कैंपेन कैसा चल रहा है
फैजाबाद से समाजवादी सांसद अवधेश प्रसाद कार्यकर्ताओं की हौसलाअफजाई करते हुए कहते हैं, मुख्यमंत्री चाहे एक बार आयें, 10 बार आयें… चाहे रोज आयें, लेकिन मिल्कीपुर की जनता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
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