
मिल्कीपुर उपचुनाव वास्तव में तय करेगा यूपी चुनाव 2027 की दिशा और दशा | Opinion
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उत्तर प्रदेश में होने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले मिल्कीपुर उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण पड़ाव है - जिसका रिजल्ट अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ दोनो के लिए सियासी मशाल साबित होने जा रहा है.
मिल्कीपुर उपचुनाव की अहमियत हाल ही में यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के बराबर ही मानी जानी चाहिये. क्योंकि, मिल्कीपुर का मामला सीधे अयोध्या के रिजल्ट से जुड़ा हुआ है, जहां फैजाबाद लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को हरा दिया था - और वो भी ऐसे दौर में जब राम मंदिर उद्घाटन के साथ ही अयोध्या आंदोलन की पूर्णाहुति हो रही थी.
और, अब जबकि मिल्कीपुर में भी उपचुनाव की तारीख आ चुकी है, 5 फरवरी को वोटिंग और 8 फरवरी को नतीजा आ जाने के बाद यूपी की राजनीति धीरे धीरे आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव की तरफ बढ़ने लगेगी.
अव्वल तो योगी आदित्यनाथ ने उपचुनावों में मनमाफिक नतीजे लाकर एक साथ बीजेपी के जख्मों पर मरहम, और समाजवादी की तरफ नमक छिड़क ही दिया है, लेकिन असली राहत तो तब मिलेगी जब मिल्कीपुर विधानसभा सीट भी वो बीजेपी की झोली में डाल देंगे.
मुमकिन है, मिल्कीपुर की तरह दिल्ली में भी अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ दो-दो हाथ करते देखने को मिलें - और वो मौका दोनो ही नेताओं के लिए मिशन-2027 के लिए बेहतरीन फील्ड परीक्षण साबित हो.
थोड़ा अलग हटकर देखें तो दिल्ली चुनाव के नतीजे भी उत्तर प्रदेश की राजनीति के हिसाब से महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. बशर्ते, पूर्वांचल से आने वाले वोटर के बीच भी दोनो नेताओं को लेकर अलग अलग खेमा बन जाये.
अखिलेश यादव की मिशन-2027 की तैयारी

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