मार्क्सवादी इतिहासकारों का 'मिशन फॉल्सिफिकेशन', कैसे भारत का गलत इतिहास पढ़ाया?
Zee News
इतिहास लेखन में सियासी फायदे की संभावनाओं को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने आजादी मिलने के पहले से ही भांप लिया था.
नई दिल्ली: आपको बेशक हैरानी हो लेकिन हकीकत यही है कि आजादी के बाद की हमारी करीब तीन पीढ़ियों को फर्जी इतिहास पढ़ाया गया है. राजनीतिक कामनाओं की पूर्ति के लिए वामपंथी इतिहासकारों ने इस काम को सलीके से किया है.
मजेदार बात ये है कि इतिहास लेखन में सियासी फायदे की संभावनाओं को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने आजादी मिलने के पहले से ही भांप लिया था. नेहरू एक दूरदर्शी और चतुर स्टेट्समैन थे. वे चाहते तो ये काम कांग्रेसी इतिहासकारों से करा सकते थे पर कांग्रेसी इतिहासकार अगर राजनीतिक एजेंडा साधने वाली इतिहासकारी करते तो सवाल उठते और आम जनता को भी शक होता. लिहाजा इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई वामपंथी इतिहासकारों को.
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