
मराठी से प्यार, लेकिन हिंदी का भी बढ़ रहा आधार! जानिए किस भाषा में बात करती है 'आमची मुंबई'
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मुंबई कई संस्कृतियों और विविध पहचान का शहर है. इस वक्त मुंबई की आबादी 2 करोड़ 20 लाख है. मराठी महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा है और मुंबई में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है. लेकिन हिंदी बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही है.
भाषाविद फ्रैंक स्मिथ ने कहा है, "भाषा कोई आनुवंशिक उपहार नहीं है, यह एक सामाजिक उपहार है (Language is not a genetic gift, it is a social gift). मतलब कि कोई भी व्यक्ति जन्म से किसी विशेष भाषा को बोलने की क्षमता लेकर पैदा नहीं होता. भाषा सामाजिक व्यवहार से मिलती है होती है. यह वह उपहार है जो हमें परिवार, दोस्तों, समुदाय और संस्कृति के माध्यम से हमें दिया जाता है.
आरएसएस नेता भैया जी जोशी का मुंबई में दिया एक बयान चर्चा में आ गया. भैया जी जोशी ने कहा कि 'मुंबई की कोई एक भाषा नहीं है. इसलिए मुंबई आने या यहां रहने के लिए मराठी सीखने की जरूरत नहीं है.' यह बयान उन्होंने 5 मार्च 2025 को विले पार्ले में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मराठी में दिया था.
मुंबई और महाराष्ट्र में मराठी भाषा को सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान का प्रतीक माना जाता है. वहां की राजनीति मराठी अस्मिता से प्रभावित होती है. भैया जी जोशी के बयान को विपक्ष ने तुरंत लपक लिया. उद्धव ठाकरे ने उन पर कार्रवाई की मांग की.
विवाद बढ़ता देख भैया जी जोशी ने कहा कि उनके बयान को गलत समझा गया.उन्होंने बाद में एक बयान में कहा कि उनके बयान से कुछ गलतफहमी हो गई है. वे विविध भाषाओं के सह-अस्तित्व को लेकर बात कर रहा थे, लेकिन वे यह साफ कर देना चाहते हैं कि मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा मराठी ही है और यहां रहने वाले सभी लोगों को मराठी भाषा सीखनी चाहिए.
भैया जी जोशी ने भले ही सफाई दे दी हो लेकिन उन्होंने मुंबई में भाषा से जुड़ा सवाल और इससे जुड़ी राजनीति को फिर से हवा दे दी है. गौरतलब है कि भैया जी जोशी ने कहा था कि घाटकोपर की भाषा गुजराती है. इसी तरह, गिरगांव में आपको हिंदी बोलने वाले कम लोग मिलेंगे. वहां आपको मराठी बोलने वाले लोग मिलेंगे. मुंबई आने वाले लोगों को मराठी सीखने की कोई ज़रूरत नहीं है."
आइए समझते हैं कि महाराष्ट्र की राजधानी और भारत की व्यावसायिक राजधानी मुंबई में कौन सी भाषा कितने लोगों के द्वारा बोली जाती है.

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