मजदूर बनकर गए थे, आज करते हैं राज, PM मोदी के गुयाना दौरे के बीच गिरमिटिया मजदूरों का इतिहास जानना क्यों जरूरी?
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पीएम मोदी का यह तीन देशों के दौरे का आखिरी पड़ाव है. वह 56 सालों में गुयाना जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं. वह गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली के निमंत्रण पर वहां पहुंचे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्राजील में G20 समिट होने में हिस्सा लेने के बाद गुयाना पहुंच गए हैं. वह गुयान के दो दिनों के दौरे पर हैं. पीएम मोदी के हवाईअड्डे पहुंचने पर खुद गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली और उनकी कैबिनेट के मंत्रियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया.
पीएम मोदी का यह तीन देशों के दौरे का आखिरी पड़ाव है. वह 56 सालों में गुयाना जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं. वह गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली के निमंत्रण पर वहां पहुंचे हैं.
गुयाना की लगभग 40 फीसदी आबादी भारतीय मूल की है. उनके राष्ट्रपति इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं. उनके पूर्वज 19वीं सदी की शुरुआत में गिरमिटिया मजदूर के तौर पर गुयाना पहुंचे थे.
इस दौरान पीएम मोदी गुयाना की संसद को संबोधित करेंगे. इसके साथ ही दूसरे भारत-CARICOM समिट में भी हिस्सा लेंगे.
क्या है गिरमिटिया मजदूरों का इतिहास?
19वीं सदी की शुरुआत में बिहार और उत्तर प्रदेश के गांवों के कई लोग भारी तादाद में जहाजों के जरिए गिरमिट यानी मजदूर के तौर पर यूरोप के कई देशों में गए. इन्हीं मजदूरों को बाद में गिरमिटिया कहा गया. कहा जाता है कि लगभग 15 लाख भारतीय अपने गांव अपने देश से दूर बेहतर भविष्य की उम्मीद में मॉरीशस, सूरीनाम, गुयाना, हॉलैंड, त्रिनिदाद और फिजी जैसे देशों में भेजे गए और फिर कभी वापस नहीं लौटे.
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