भारत विरोधी नीति से खफा हुए मालदीव के विपक्षी दल, राष्ट्रपति मुइज्जू के संबोधन का करेंगे बहिष्कार
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मालदीव की मुख्य विपक्षी दलों- मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) और डेमोक्रेट पार्टी ने राष्ट्रपति के संबोधन में शामिल होने का बहिष्कार किया है. विपक्ष ने जोर दिया कि मालदीव की स्थिरता और सुरक्षा के लिए हिंद महासागर में स्थिरता और सुरक्षा महत्वपूर्ण है.
भारत से तनातनी के बीच मालदीव में सियासी उथल-पुथल जारी है. इन सबके बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू आज संसद बैठक में अपना पहला राष्ट्रपति भाषण देंगे. देश की दो मुख्य विपक्षी पार्टियों-मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) और डेमोक्रेट्स पार्टी ने मुइज्जू के संबोधन का बहिष्कार करने का फैसला किया है. दोनों पार्टियों ने मुइज्जू की भारत विरोधी विचारधारा की आलोचना की थी और अब उन्होंने यह मुइज्जू के भाषण का बॉयकॉट करने का फैसला किया है.
एमडीपी ने अभी तक मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति भाषण के बहिष्कार के उद्देश्य का खुलासा नहीं किया है. वहीं डेमोक्रेट्स ने कहा कि वे उन तीन मंत्रियों की फिर से नियुक्ति के कारण बैठक से दूर रहेंगे जिन्हें संसद ने खारिज कर दिया था. मिहारू नामक मीडिया आउटलेट के अनुसार, राष्ट्रपति अपना भाषण सुबह 9 बजे देंगे.
विपक्षी दलों ने लगाया मुइज्जू पर भारत विरोधी रूख अपनाने का आरोप
संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति को वर्ष के पहले कार्यकाल के पहले सत्र में संसद को संबोधित करना होता है और इस दौरान देश की स्थिति की रूपरेखा तैयार करना और सुधार लाने के लिए अपनी सिफारिशों को रेखांकित करना जरूरी होता है. विपक्ष ने मुइज्जू सरकार की आलोचना की थी.पिछले महीने हुए एक राजनयिक विवाद के बीच दोनों विपक्षी दलों ने भारत को देश का "सबसे पुराना सहयोगी" बताया था.
एक संयुक्त बयान में, दोनों दलों ने मौजूदा प्रशासन पर "भारत विरोधी रुख अपनाने" का आरोप लगाया था. वर्तमान सरकार की विदेश नीति पर सवाल खड़े करते हुए दोनों दलों ने एक बयान जारी करते हुए कहा था, 'एमडीपी और डेमोक्रेट दोनों का मानना है कि किसी भी विकास के भागीदार और विशेष रूप से देश के सबसे पुराने सहयोगी को अलग करना देश के दीर्घकालिक विकास के लिए बेहद हानिकारक होगा. देश की सरकार को सभी के विकास के उद्देश्य के साथ काम करनी चाहिए.' विपक्ष ने जोर दिया कि मालदीव की स्थिरता और सुरक्षा के लिए हिंद महासागर में स्थिरता और सुरक्षा महत्वपूर्ण है.
मंत्रियों के बयान से बढ़ी थी भारत-मालदीव के रिश्तों में कड़वाहट
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