
भारत में सऊदी अरब का फायदा बना रूस का घाटा, बदला ये सालों पुराना 'गेम'
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भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. भारत कुल जरूरत का 80 फीसदी से भी ज्यादा कच्चा तेल आयात से पूरा करता है. ऐसे में दो प्रमुख तेल उत्पादक देश सऊदी अरब और रूस के बीच क्रूड ऑयल निर्यात को लेकर होड़ मच गई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को तेल निर्यात करने के मामले में सऊदी अरब ने रूस को झटका दिया है.
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश भारत को तेल निर्यात करने के लिए दो प्रमुख तेल उत्पादक देश रूस और सऊदी अरब में होड़ मची है. सऊदी अरब अपने कच्चे तेल को आकर्षक कीमत पर भारत को निर्यात कर अपनी बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने की कोशिश कर रहा है.
वहीं, यूक्रेन से जंग के कारण पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध का सामना कर रहा रूस अपनी अर्थव्यवस्था को संतुलित करने के लिए भारत को ज्यादा से ज्यादा तेल निर्यात करना चाहता है. भारत ज्यादा से ज्यादा रूसी तेल खरीदे, इसके लिए रूस रियायत कीमतों के साथ भारत को तेल निर्यात कर रहा है.
एनर्जी कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्सा के अनुसार, रूस ने मार्च महीने में भारतीय रिफाइनरी कंपनियों को रिकॉर्ड प्रति दिन 1.64 मिलियन बैरल कच्चा तेल निर्यात किया. इसके बावजूद भारतीय तेल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी में गिरावट देखी गई है. इसका एक अहम कारण है तेल निर्यात में रूस के प्रतिद्वंद्वी सऊदी अरब का भारत को तेल ज्यादा निर्यात करना.
रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस ने मार्च महीने में भले ही भारत को रिकॉर्ड स्तर पर तेल निर्यात किया हो, लेकिन भारतीय तेल बाजार में उसकी हिस्सेदारी में कमी आई है. फरवरी महीने में जहां भारतीय तेल बाजार में रूस की हिस्सेदारी 34.5% थी. मार्च महीने में वह घटकर 34% हो गई. वहीं, दूसरी तरफ सऊदी अरब की हिस्सेदारी फरवरी में 15% से बढ़कर मार्च में 20% हो गई है.
रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले रूस भारत के लिए एक मामूली तेल आपूर्तिकर्ता देश था. लेकिन युद्ध की शुरुआत के बाद से ही भारत ने रूस से रियायती कीमतों पर भारी मात्रा में कम सल्फर या स्वीट ग्रेड वाला तेल खरीदता है. हालांकि, फ्लैगशिप यूराल ग्रेड ऑयल का निर्यात पहले की ही स्थिति में है.
भारतीय तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी घटी

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