भारत में अपना राजदूत नियुक्त करने में 'रिकॉर्ड' देरी कर क्या दिखाना चाहता है चीन?
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भारत में सितंबर के महीने में जी-20 शिखर सम्मेलन होने वाला है जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हिस्सा ले सकते हैं. इससे पहले वो 22-24 अगस्त को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने दक्षिण अफ्रीका जाएंगे. माना जा रहा है कि इन बैठकों के दौरान पीएम मोदी से साथ उनकी मुलाकात हो सकती है. रिश्तों के ऐसे महत्वपूर्ण दौर में भारत में चीन के राजदूत का पद खाली होना बड़े सवाल खड़े कर रहा है.
भारत-चीन के राजनयिक रिश्तों के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि चीन ने भारत में अपने राजदूत का पद लगातार 10 महीने खाली रखा हो. पर्यवेक्षकों का कहना है कि आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन को देखते हुए चीन का यह कदम 'असामान्य' है. ऐसी संभावना है कि आने वाले हफ्तों में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हो सकती है. बावजूद इसके चीन का भारत में अपना राजदूत नियुक्त नहीं करना कई सवाल पैदा कर रहा है.
कुछ पर्यवेक्षकों का यह भी कहना है कि राजदूत नियुक्त करने में रिकॉर्ड देरी कर चीन यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि भारत के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं है.
सुन वेइदोंग भारत में चीन के पिछले राजदूत थे जिन्हें अक्टूबर 2022 में चीन ने अपना उप विदेश मंत्री नियुक्त किया था. इसके बाद से ही भारत में चीनी राजदूत का पद खाली पड़ा है.
चीनी राजदूत का पद भारत में चीनी राजनयिकों के दस सबसे प्रतिष्ठित पदों में से एक होता है क्योंकि राजदूत का दर्जा उप विदेश मंत्री के बराबर का होता है. इतना प्रतिष्ठित पद अब तक इतने लंबे समय के लिए खाली नहीं रहा है. बल्कि चीन इससे पहले भारत में अपने राजदूत को खाली पद को भरने के लिए आतुर दिखता था.
इसका एक उदाहरण तब दिखा था जब सितंबर 2014 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत आने वाले थे. उस दौरान भारत में चीनी राजदूत के खाली पद को भरने के लिए दोनों देशों ने रिकॉर्ड कम समय में कागजी काम पूरा कर लिया था ताकि शी के भारत आने से पहले भारत में चीनी राजदूत ली युचेंग की नियुक्ति हो जाए. ली से पहले भारत में चीन के राजदूत वेई वेई थे जिन्हें चीन ने नियुक्ति के दो साल बाद अचानक वापस बुला लिया था.
जी-20 शिखर सम्मेलन और चीनी राजदूत का नियुक्त न किया जाना
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