भारत को मुस्लिम विरोधी बताने वाले अमेरिका को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए, ये आंकड़े खोलेंगे पोल
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अमेरिका की संस्था ने भारत को अपनी रिपोर्ट में मुस्लिम विरोधी बताया. इसके अलावा और भी कई तरह का ज्ञान दिया गया. लेकिन दूसरों को सर्टिफिकेट देने वाला अमेरिका अपने देश का हाल नहीं देख पा रहा है. आइए अमेरिका की धार्मिक स्वतंत्रता पर नजर डालते हैं-
अमेरिका संस्था यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) ने हाल ही में अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है. उस रिपोर्ट में भारत को लेकर कहा गया है कि यहां पर धार्मिक आधार पर भेदभाव किया जाता है. मुस्लिमों पर अत्याचार होते हैं और हिंदू राष्ट्र बनाने पर जोर रहता है. ये पहली बार नहीं है जब धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अमेरिका की तरफ से भारत को ऐसा ज्ञान दिया गया हो. पहले भी उसकी अलग-अलग संस्थाएं ऐसे आरोप लगाती रही हैं. हालांकि पूरी दुनिया को धार्मिक आजादी का सर्टिफिकेट बांट रहे अमेरिका में ही धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. खास बात ये है कि सवाल खड़े करने वाली ये एजेंसियां भी अमेरिकी ही हैं.
अमेरिका में धार्मिक भेदभाव का शिकार मुस्लिम
Pew Research Center ने 2009, 2014, 2017, 2019 और फिर 2021 में एक सर्वे किया था. उस सर्वे में अमेरिकी लोगों से पूछा गया था कि आपकी नजरों में कौन से समुदाय के लोगों को सबसे ज्यादा भेदभाव का शिकार होना पड़ता है, ऐसा कौन सा वर्ग है जिसे धार्मिक आधार पर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस सर्वे में अमेरिकी लोगों की एक ही राय रही है और वो हैं मुस्लिम. दूसरे समुदाय जैसे कि यहूदी, ईसाई, मॉर्मन के साथ भी समान व्यवहार नहीं किया जाता, लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना मुस्लिम समाज ही करता है. ये हाल तब है जब अमेरिका में मुस्लिमों की तादात पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ गई है.
शक की निगाह से देखना... हमला करना
इसी सर्वे के तहत 2017 में अमेरिका में रह रहे कई मुस्लिम लोगों से बात की गई थी. ये वो वक्त था जब वहां पर डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति थे. तब 48 प्रतिशत मुस्लिमों ने कहा था कि अमेरिका में उनके साथ कभी ना कभी धर्म के आधार पर भेदभाव हुआ था. उन लोगों का कहना था कि शक करने से लेकर उन पर हमला करने तक, कई तरह के खतरे महसूस किए गए थे. यहां पर ये भी जानना जरूरी हो जाता है कि जब Pew Research Center ने ये सवाल 2011 में मुस्लिम समुदाय के लोगों से पूछा था, तब ये आकंड़ा 43 फीसदी था, वहीं 2007 में 40 प्रतिशत के करीब रहा. ऐसे में समय के साथ अमेरिका में धार्मिक आधार पर मुस्लिमों के लिए भेदभाव बढ़ गया है.
एयरपोर्ट पर नहीं होता समान व्यवहार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डोमिनिका के सर्वोच्च पुरस्कार 'डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया गया. इस सम्मान का आयोजन गुयाना में आयोजित भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन में डोमिनिका की राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन ने किया. प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मान को प्राप्त करने के बाद इसे भारत के 140 करोड़ नागरिकों को समर्पित किया है. देखें...
इस सम्मान से सम्मानित होने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि गुयाना के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर मैं मेरे मित्र राष्ट्रपति इरफान अली का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूं. ये सम्मान केवल मेरा ही नहीं बल्कि भारत के 140 करोड़ लोगों का सम्मान है. यह हमारे संबंधों के प्रति आपकी गहरी प्रतिबद्धता का सजीव प्रमाण है जो हमें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहेगा.
अमेरिका के कैलिफोर्निया स्टेट के लॉस एंजलेस शहर में यूएस इमिग्रेशन डिपार्टमेंट एक शख्स के ट्रैवल डॉक्यूमेंट चेक कर रहा था. उसके पास भारतीय पासपोर्ट था. पासपोर्ट पर उसका नाम भानू लिखा हुआ था. बाद में खुलासा हुआ कि भानू कोई और नहीं बल्कि लॉरेंस बिश्नोई का छोटा भाई और दस लाख रुपये का इनामी आतंकवादी अनमोल बिश्नोई है.