
भारत का बड़ा कमाल, ब्रिटेन को पछाड़ बना पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
AajTak
आर्थिक मोर्चे पर ब्रिटेन का फिसलना आने वाली नई सरकार के लिए जोरदार झटका होगा. ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य जल्द ही प्रधानमंत्री चुनेंगे. ऐसे में नई सरकार के लिए महंगाई और सुस्त अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी चुनौती होगी. नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, जून 2022 तिमाही में भारतीय इकोनॉमी की ग्रोथ रेट 13.5 फीसदी रही.
अर्थव्यवस्था (Economy) के मोर्चे पर भारत को बड़ी सफलता मिली है. ब्रिटेन (Britain) को पछाड़कर भारत अब दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. ब्रिटेन पांचवें पायदान से फिसलकर छठे नंबर पर पहुंच गया है. ब्रिटेन इस वक्त जीवन-यापन की लागत बढ़ने की वजह से मुश्किल दौर से गुजर रहा है. ऐसे में उसका छठे नंबर पर फिसलना वहां कि सरकार के लिए बड़ा झटका है. कभी ब्रिटिश उपनिवेश रहा भारत 2021 के आखिरी तीन महीनों में ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है.
गणना अमेरिकी डॉलर के आधार पर की गई है. इसके अलावा अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़े अनुसार, जीडीपी (GDP) के आंकड़ों के आधार पर भारत ने पहली तिमाही में अपनी बढ़त और मजबूत कर ली है.
ब्रिटेन के लिए जोरदार झटका
आर्थिक मोर्चे पर ब्रिटेन का फिसलना वहां की आने वाली नई सरकार के लिए जोरदार झटका होगा. ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य जल्द ही प्रधानमंत्री चुनेंगे. ऐसे में नई सरकार के लिए महंगाई और सुस्त अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी चुनौती होगी. दूसरी तरफ एक्सपर्ट्स का मानना है कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय इकोनॉमी की विकास दर 7 फीसदी से अधिक रह सकती है.
चुनौतियों के बावजूद तेज रफ्तार
अगर भारत और ब्रिटेन की इकोनॉमी को डॉलर में देखें, तो आईएमएफ (IMF) के आंकड़ों के अनुसार, मार्च की तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर थी. वहीं, ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर थी. आंकड़े बता रहे हैं कि भले ही दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं मंदी (Global Recession) और महंगाई (Inflation) की मार से परेशान हों, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) तमाम चुनौतियों के बाद भी तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है.

साल 2023 में इसे डिफॉल्ट कर दिया गया. हालांकि न्यू टैक्स रिजीम को लेकर अक्सर कहा जाता है कि इसमें कुछ भी एक्स्ट्रा टैक्स छूट नहीं मिलती है, लेकिन ऐसा नहीं है. आप अन्य डिडक्शन का बेनिफिट उठा सकते हैं. सिर्फ सैलरीड ही नहीं, बल्कि अन्य लोग भी न्यू टैक्स रिजीम के तहत एक्स्ट्रा डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं.

इस भारी गिरावट के बाद निवेशकों को ट्रंप-जेलेंस्की की मुलाकात (Trump-Zelensky Meeting) से रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए भू-राजनीतिक तनाव को खत्म करने का रोडमैप मिलने की उम्मीद थी और अनुमान था कि सोमवार को भारतीय बाजार में थोड़ी तेजी आ सकती है, लेकिन ट्रंप-जेलेंस्की के बीच बहस (Trump-Zelensky) ने चिंता पैदा कर दी है.