भगत सिंह के लिए जब लड़ गए थे मोहम्मद अली जिन्ना!
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पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने एक बार एसेंबली में भगत सिंह का मजबूती से बचाव किया था. जिन्ना ने भगत सिंह की बहुत तारीफ की थी लेकिन आज उन्हीं के मुल्क में इस क्रांतिकारी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है.
शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म अविभाजित भारत के फैसलाबाद में हुआ था. अब यह पाकिस्तान में है. ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें फांसी लाहौर के सेंट्रल जेल में दी और यह भी अब पाकिस्तान में ही है. भगत सिंह को आज के दिन ही साल 1931 में फांसी दी गई थी. भगत सिंह की मौत गुलाम भारत में ही हुई. भगत सिंह की फांसी के 16 साल बाद ब्रिटिश हुकूमत से भारत आजाद हुआ. लेकिन यह आजादी भारत के विभाजन के साथ आई. भगत सिंह ने कल्पना भी नहीं की होगी कि ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ उनकी लड़ाई का अंत हिन्दू और मुसलमान के नाम पर विभाजन के साथ खत्म होगी. भगत सिंह ने बहुत ही कम उम्र, महज 23 साल में बौद्धिकता के उस स्तर को हासिल कर लिया था, जिसे इंसान अपने पूरे जीवन में भी नहीं पाता है. इतनी छोटी उम्र में ही उन्होंने बताया कि वो नास्तिक हैं और इसका जो उन्होंने तर्क दिया वे अकाट्य हैं. भगत सिंह का जन्म सिख परिवार में हुआ था लेकिन उनके जीवन में धर्म की जगह कहीं नहीं थी. यहां तक कि उनकी असली तस्वीर में कहीं पगड़ी नहीं होने की बात कही जाती है. भगत सिंह की आजादी की लड़ाई का फलक इतना विस्तृत था कि उसमें कोई संकीर्णता नहीं थी.यूक्रेन युद्ध को 1000 दिन हो चुके हैं और इस दौरान वहां से लाखों लोग विस्थापित होकर देश छोड़ चुके है. ये लोग यूक्रेन के सभी पड़ोसी देशों में पलायन कर गए हैं जिसमें मोल्दोवा, स्लोवाकिया, इटली, पोलैंड, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं. इस तरह पिछले ढाई सालों में यूक्रेन के लोग पूरे यूरोप में विस्थापित हो चुके हैं.
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