
'बुशरा बीबी के साथ अवैध था इमरान खान का निकाह', मुफ्ती ने अदालत को बताई शादी की सच्चाई
AajTak
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई चीफ इमरान खान और उनकी बीवी बुशरा बीबी के निकाह को लेकर एक मौलवी ने बड़ा खुलासा किया है. मौलवी ने अदालत को बताया कि दोनों का निकाह इस्लामिक शरिया कानून के मुताबिक नहीं हुआ था.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का बुशरा बीबी से निकाह कराने वाले एक मौलवी ने कहा है कि यह शादी इस्लामिक शरिया कानून के मुताबिक नहीं हुई थी. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने बताया कि 2018 में इमरान और बुशरा का निकाह करवाने वाले मौलवी मुफ्ती सईद ने कहा कि यह निकाह बुशरा बीबी की इद्दत अवधि के दौरान हुआ था.
इस्लाम में शरियत के मुताबिक, किसी मुस्लिम महिला के तलाक़ या उसके पति की मृत्यु के बाद की प्रतीक्षा अवधि को इद्दत कहा जाता है. इद्दत पति की मृत्यु के बाद के चार माह 10 दिन की अवधि होती है. यदि कोई महिला प्रेग्नेंसी के दौरान विधवा हो जाती है तो तब इद्दत की अवधि बच्चे के जन्म तक चलती है. इस्लाम में इसका पालन करना महिला के लिए अनिवार्य बताया गया है. इस अवधि के दौरान तलाकशुदा या विधवा महिला किसी अन्य पुरुष से शादी नहीं कर सकती है.
शादी को कोर्ट में दी गई है चुनौती
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामाबाद में हाल ही में एक अदालत की सुनवाई के दौरान पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख इमरान और बुशरा के बीच शादी से जुड़े विवाद पर सुनवाई हुई. इस दौरान मौलवी मुफ्ती सईद ने इद्दत को लेकर यह खुलासा किया.इमरान और बुशरा के कथित गैर-इस्लामी विवाह को मुहम्मद हनीफ द्वारा कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुनवाई की अध्यक्षता वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश नसर मिनुल्लाह बलूच ने की.
सईद एक मदरसा के प्रधानाचार्य हैं. उन्होंने खान के साथ सकारात्मक संबंध रखने और उसकी कोर कमेटी का हिस्सा होने उल्लेख किया. उन्होंने दावा किया कि इमरान उन्हें 2018 में दंपति के निकाह को अंजाम देने के लिए लाहौर के डीएचए ले गए थे. उनके अनुसार, बुशरा की बहन होने का दावा करने वाली एक महिला ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी शादी के लिए शरिया की सभी शर्तों को पूरा किया गया है और वह और खान शादी करने के लिए स्वतंत्र हैं.
पूरी नहीं हुई थी इद्दत की अवधि

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.