
बीएनएस कानून से पुलिसकर्मियों की बढ़ी मुश्किलें... खुद के रुपयों से खरीदनी पड़ रही पेनड्राइव
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भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस के तहत दर्ज मामलों में सबूतों की रिकवरी या बयानों को डिजिटल फॉर्म में सुरक्षित रखना अनिवार्य कर दिया गया है और यही सुधार अब कुछ मामलों में पुलिसकर्मियों पर ही भारी पड़ रहा है.
केंद्र सरकार ने कुछ महीने पहले ही भारतीय न्याय संहिता लागू कर कानूनी न्याय व्यवस्था में बेहतरी के लिए बड़ा कदम उठाया. लेकिन इसकी वजह से अब पुलिसकर्मियों की जेब पर बोझ बढ़ गया है. दरअसल, बीएनएस के तहत दर्ज मामलों में सबूतों की रिकवरी या बयानों को डिजिटल फॉर्म में सुरक्षित रखना अनिवार्य कर दिया गया है और यही सुधार अब कुछ मामलों में पुलिसकर्मियों पर ही भारी पड़ रहा है.
aajtak ने राजधानी भोपाल में इसकी पड़ताल की तो पाया कि कई पुलिसकर्मी खुद के खर्चे से पेन ड्राइव और सीडी खरीद रहे हैं. नाम न छापने की शर्त पर नए शहर में स्थित पुलिस थाने के एक कांस्टेबल ने बताया कि कुछ रोज पहले दर्ज एक मामले में सबूत की रिकवरी का वीडियो बनाया था और जांच अधिकारी ने उन्हें यह रिकॉर्डिंग एक नई पेन ड्राइव में सेव करने के लिए कहा. लेकिन जब वो थाने पहुंचे तो वहां पेन ड्राइव उपलब्ध नहीं थी, ऐसे में थाने के नज़दीक स्टेशनरी पर जाकर एचपी की 8 जीबी वाली पेनड्राइव लेनी पड़ी जो करीब 295 रुपए यानी तकरीबन 300 रुपए में पड़ी.
यही नहीं, जिला अदालत में एक मामले की सुनवाई के लिए आरोपियों को लेकर पहुंचे एक सब-इंस्पेक्टर को 3 पेन ड्राइव करीब हज़ार रुपए में पड़ीं, क्योंकि उन्हें कोर्ट में पेशी से पहले सभी सबूतों की वीडियो रिकॉर्डिंग डिजिटल साक्ष्य के रूप में सुरक्षित करनी थी. तीन पेन ड्राइव में से एक थाने के रिकॉर्ड के लिए, एक पेन ड्राइव कोर्ट के लिए और एक पेन ड्राइव आरोपी के वकील को देनी पड़ी. हालांकि, उनका कहना है कि आरोपी के वकील ने पेनड्राइव का रुपया उन्हें दिलवा दिया है.
टीटी नगर थाने के एक सब-इंस्पेक्टर भी एक मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी को गिरफ्तार करने जा रहे थे. थाने में उस समय पेन ड्राइव उपलब्ध न होने के चलते वो दुकान से खुद एक पेन ड्राइव और एक सीडी खरीद कर लाए थे. पूछने पर उन्होंने बताया कि कुछ समय से पेन ड्राइव नहीं है. लिहाज़ा वो खुद के ही रुपयों से पेन ड्राइव खरीद कर डिजिटल साक्ष्य के रूप में जमा कर रहे हैं.
यह कहानी सिर्फ इन तीन पुलिसकर्मियों की नहीं बल्कि सूबे के कई पुलिसकर्मियों की है जिनके ऊपर न्यूनतम 300 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक का आर्थिक बोझ प्रति केस पड़ रहा है. सबसे पहले आपक बताते हैं कि अब पुलिसकर्मियों के लिए पेन ड्राइव इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?
दरअसल, बीएनएस कानून के तहत अब पुलिस को केस से जुड़े सबूतों, बयानों, क्राइम सीन और केस से जुड़े तथ्यों को पेन ड्राइव में सेव करना है. इसके लिए केस की जांच करने वाले इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर को हर केस के लिए कम से कम तीन पेन ड्राइव की ज़रूरत पड़ती है. एक पेन ड्राइव थाने के रिकॉर्ड में रहती है, दूसरी पेन ड्राइव अदालत में जमा करानी होती है और तीसरी पेन ड्राइव आरोपी के वकील को देनी होती है.

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