बिहार NDA में बढ़ सकती थी खटास...इसलिए दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाले गए चिराग
AajTak
जेडीयू के एनडीए में शामिल होने से कई बीजेपी नेता सीट बंटवारे के कारण टिकट से वंचित हो गए. उन्होंने LJP का दामन थामा और जेडीयू के उम्मीदवार के खिलाफ लड़ने लगे. तब लगा कि चिराग पर बीजेपी का वरदहस्त है. ये बातें तब और पुख्ता हो गई जब चिराग ने कहा कि वो नरेंद्र मोदी के हनुमान हैं.
विरासत में मिली राजनीति को चिराग पासवान संभाल नहीं पाए. अपने पिता की बनाई पार्टी से ही बेदखल कर दिए गए. क्या इसे अनुभव की कमी मानी जाएगी? राजनीति के धाकड़ खिलाड़ी चाल को पहले समझ कर मात देते हैं. लेकिन चिराग इस खतरे को भांप नहीं पाए. स्वर्गीय रामविलास पासवान ने पार्टी की कमान अपने युवा बेटे को दी, ताकि वो इसका विस्तार कर सकें. पार्टी का कमान बेटे को सौंपने के बाद जबतक रामविलास पासवान ज़िंदा रहे उन्होंने चिराग के हर फैसले का समर्थन किया. चिराग पासवान 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद और अपनी मृत्यु के कुछ महीने पहले 5 नवंबर 2019 को पार्टी की कमान अपने बेटे चिराग पासवान को सौंप दी. इससे 5 साल पहले यानी 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पासवान ने अपने बेटे चिराग को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया था.मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.