
बांग्लादेश के हिंदू नेता ने क्यों किया CAA का विरोध? दिए ये तर्क
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भारत की संसद में 2019 में सीएए को पारित किया गया था. इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में सताए गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है.
भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर शुरू से ही बांग्लादेश के मुस्लिम समुदाय की ओर से विरोध दर्ज कराया गया है लेकिन अब वहां के एक हिंदू नेता ने भी इसका विरोध किया है.
बांग्लादेश के एक प्रमुख हिंदू नेता ने कहा कि भारत का नया सीएए कानून बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यकों की चुनौतियों से निपटने में मदद नहीं करेगा.
उनका यह बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब देश के इस्लामिक कट्टरपंथी पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान को लेकर लामबंद हैं.
बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद के उपाध्यक्ष मोनिंदर कुमार नाथ ने कहा कि हालांकि, शेख हसीना सरकार का रवैया देश में अल्पसंख्यकों को लेकर मैत्रीपूर्ण रहा है. वह मंदिरों पर हमले रोकने और अल्पसंख्यकों की जमीन हड़पने के मामले सुलझाने को लेकर सक्रिय रही है.
देश के 64 जिलों में धार्मिक आयोजनों की निगरानी करने वाले नाथ ने ढाकेश्वरी मंदिर में भारतीय पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, हम सीएए का स्वागत नहीं करते. हम इस कानून के पक्ष में नहीं है क्योंकि इस तरह के कानूनों से कोई लाभ नहीं होता.
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के संयुक्त महासचिव नाथ ने कहा कि जब लोगों पर हमले किए जाते हैं या उन्हें अत्यधिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है तो वे अपनी मातृभूमि छोड़कर भागने को मजबूर होते हैं.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.