बड़ा खुलासा: कैसे बंधकों को इजरायल की नजर से बचाकर रखता है हमास, सैटेलाइट भी फेल
AajTak
इजरायल और हमास के बीच बीते तीन हफ्ते से जंग जारी है और इस दौरान दोनों तरफ से हजारों लोगों की जान जा चुकी है. इस जंग में हमास पहले की तरह एक बार फिर बंधकों को बड़े हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है. हमास बंधक बनाए गए लोगों को ऐसी सीक्रेट जगह पर रखता है जहां इजरायली फोर्स के लिए पहुंचना भी बेहद मुश्किल है.
इजरायल और फिलस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच बीते 21 दिनों से जंग जारी है जिसमें दोनों तरफ से हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. गाजा पट्टी पर अपना नियंत्रण रखने वाले हमास ने इजरायल पर हमले के बाद वहां के 200 से ज्यादा नागरिकों को बंधक बना लिया था जिसे वो एक राजनीतिक उपकरण की तरह इस्तेमाल करता है. चाहे इजरायली सरकार पर दबाव डालना हो या अपनी अपनी शर्तें मनवानी हो, हमास इन बंधकों का उपयोग अपने मकसद को पूरा करने के लिए करता है. अब इन बंधकों को लेकर कई बड़े और अहम खुलासे हुए हैं.
सुरंगों में बंधकों को छुपाकर रखता है हमास
बता दें कि 7 अक्टूबर को जब 5 हजार रॉकेट से हमला कर हमास आतंकियों ने इजरायल में कत्लेआम मचाया था तो वापस जाते वक्त वो अपने साथ सैकड़ों लोगों को बंधक बनाकर ले गए थे. वो उन बंधकों को सुरंग में रखते हैं. ये टनल पूरे गाजा पट्टी में फैले हुए हैं और इतने मजबूत हैं कि इस पर इजरायल के घातक से घातक बम का असर भी नहीं होता है. यह वजह है कि अपने बंधकों की सुरक्षित रिहाई को लेकर इजरायली फोर्स गाजा में जमीनी ऑपरेशन शुरू नहीं कर पा रही है.
सैटेलाइट के लिए भी बंधकों को ढूंढना मुश्किल
दरअसल गाजा पट्टी में दो रास्ते हैं. एक सड़क जिसे दुनिया देखती हैं. इस पर गाजा में रहने वाले लोग आते-जाते हैं, लेकिन एक और रास्ता हैं, जो जमीन के नीचे है. उसी रास्ते में सीक्रेट रूट है. इस रूट का इस्तेमाल हमास के आतंकी एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए करते हैं. उसका इस्तेमाल रॉकेट हमले के लिए किया जाता है. इजरायल द्वारा लगातार किए जा रहे हवाई हमलों से वो इन्हीं टनल के जरिए बच जाते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक हमास इन सुरंगों का इस्तेमाल अपने लड़ाकों, नेताओं के साथ हथियारों और खाद्य पदार्थों को छिपाने के लिए भी करता है. हमास द्वारा बनाई गई ये सुरंगें सामान्यत: 30 मीटर तक गहरी हैं, लेकिन कुछ सुरंगें 70 मीटर तक गहरी हैं. ये सुरंगे इतनी गहरी होती हैं कि सैटेलाइट भी इनका ठीक से पता नहीं लगा पाती हैं क्योंकि ये जमीन से काफी नीचे बनाई जाती है. इजरायली फोर्स को उन सुरंगों का सटीक लोकेशन भी नहीं मिल पाता है.
थाईलैंड में समलैंगिक विवाह कानून लागू हो गया है जिसके बाद वहां के समलैंगिक कपल्स को शादी करने का कानूनी अधिकार मिल गया है. थाईलैंड की तरह दुनिया के कई देशों में समलैंगिकों को शादी करने का हक मिला हुआ है लेकिन दुनिया में कुछ देश ऐसे भी हैं जहां समलैंगिकता पर रोक है और इसके लिए मौत की सजा तक दी जा सकती है.
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही बाइडन कार्यकाल के रिफ्यूजी प्रोग्राम को निरस्त कर दिया है. इस प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान में फंसे हुए अफगानी शरणार्थियों को अमेरिका में सेटल करवाना था. बाइडन प्रशासन ने पाकिस्तान से कहा था कि कुछ ही समय में अमेरिका सारे शरणार्थियों को शरण दे देगा लेकिन उनकी सत्ता रहते हुए ऐसा नहीं हो पाया.
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगर ब्रिक्स देश अपनी करेंसी लाते हैं तो उनके लिए अमेरिका से व्यापार करना काफी मुश्किल हो जाएगा क्योंकि वो इन देशों पर 100 प्रतिशत का टैरिफ लगा देंगे. ट्रंप की इस धमकी पर अर्थशास्त्रियों ने प्रतिक्रिया दी है. अर्थशास्त्री रघुराम राजन का कहना है कि ट्रंप प्रतिक्रिया देने में जल्दबाजी कर रहे हैं.
चीन ने बांग्लादेश को लोन चुकाने के लिए बड़ी राहत दी है. चीन की शी जिनपिंग सरकार ने बांग्लादेश को दिए कर्ज को चुकाने की अवधि को 20 साल से बढ़ाकर 30 साल कर दिया है. चीन दौरे पर पहुंचे बांग्लादेश के विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात के दौरान यह अनुरोध किया था, जिसे चीन ने स्वीकार कर लिया है.
अपनी चुनावी घोषणा के अनुरूप ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सख्त प्रवासन नीतियों पर अमल शुरू कर दिया है. इस सख्ती के दायरे में वैसे 20 हजार भारतीय हैं जिसके बारे में अमेरिका कहता है कि इनके पास अमेरिका में रहने के वैध कागज नहीं हैं और इन्हें वापस भेजा जाएगा. अमेरिका ने ऐसे 20 हजार भारतीयों को डिपोर्टेशन लिस्ट में डाल दिया है.
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वो एच-1बी वीजा के दोनों पक्षों को पसंद करते हैं. उनका कहना है कि अमेरिका में वैसे लोग ही आने चाहिए जो बेहद कुशल हैं. लेकिन, वीजा और प्रवासियों पर सख्ती दिखा रहे ट्रंप ने एफबीआई डायरेक्टर के लिए जिस काश पटेल को नियुक्त किया है, वो खुद एक प्रवासी माता-पिता से जन्मे अमेरिकी हैं.
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत आने के बाद से ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार उनके प्रत्यर्पण के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है. अब बांग्लादेश ने गीदड़भभकी देते हुए कहा है कि अगर भारत पूर्व पीएम शेख हसीना को वापस नहीं भेजता है तो वह इस मामले को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने उठाएगा और उनसे हस्तक्षेप की मांग करेगा.