
बचपन से ही कैमरे से प्यार कर बैठे थे दानिश, ऐसा रहा जामिया से पुलित्जर तक का सफर
AajTak
जामिया मिलिया इस्लामिया से सटी गफ्फार मंजिल कॉलोनी में मातम-सा पसर गया है. सबका चहेता दानिश उन्हें छोड़कर चला गया है. दानिश सिर्फ उनकी कॉलोनी में रहने वाला कोई आम इंसान नहीं बल्कि सच्चाई का वो अफसाना था जो उन्हें हमेशा याद रह जाएगा. आइए जानते हैं दानिशमंद और होनहार दानिश का अब तक का सफर....
आज दुनिया भर में कंधार में वहां के हालात का कवरेज करने के दौरान मारे गए फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की चर्चा हो रही है. फोटो के जरिये सच कहने वाले इस जुनूनी फोटो पत्रकार के मृत शरीर की फोटो आंखों के सामने छा गई है. हाथों में प्रेस लिखी हुई जैकेट लिए जमीन पर खून में लथपथ लेटे दानिश मानो बता रहे हैं कि उन्होंने हम सब तक सच पहुंचाने के लिए आज खुद को ही तस्वीर में ढाल दिया है. उनके जाने के बाद से जामिया मिलिया इस्लामिया से सटी गफ्फार मंजिल कॉलोनी में मातम-सा पसर गया है. सबका चहेता दानिश उन्हें छोड़कर चला गया है. दानिश सिर्फ उनकी कॉलोनी में रहने वाला कोई आम इंसान नहीं बल्कि सच्चाई का वो अफसाना था जो उन्हें हमेशा याद रह जाएगा. आइए जानते हैं दानिशमंद और होनहार दानिश का अब तक का सफर.... दानिश के पिता प्रो. अख्तर सिद्दीकी जामिया मिलिया इस्लामिया से रिटायर्ड हैं. प्रो. अख्तर सिद्दीकी यहां शिक्षा संकाय के डीन थे. वो राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के निदेशक भी थे. दानिश का बचपन जामिया के बगल में स्थित गफ्फार मंजिल कॉलोनी में बीता. थोड़े बड़े हुए तो दिल्ली की गलियों की खूबसूरती उन्हें बहुत भाने लगी. इसके अलावा उन्हें चेहरों में झलकते इमोशंस को कैद करने की ललक होती थी. फिर जब हाथ में कैमरा आया तो उन्होंने जान लिया कि यही वो चीज है जिसके जरिये वो ऐसी कहानी गढ़ सकते हैं जिसे लोग भावों के माध्यम से पढ़ें. फिर क्या था इसी दिशा में उन्होंने पढ़ाई और अध्ययन शुरू कर दिया.More Related News

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.