
पिज्जा ऑर्डर करना बना 'अपराध', हॉस्टल की वार्डन ने चार छात्राओं को दी ये सजा!
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पुणे के मोशी स्थित सोशल वेलफेयर हॉस्टल में चार छात्राओं को एक महीने के लिए इसलिए निकाल दिया, क्योंकि उनमें से एक ने ऑनलाइन पिज्जा ऑर्डर किया था. वार्डन ने छात्राओं के माता-पिता को बुलाकर उन्हें इसकी जानकारी दी. पेरेंट्स की माफी की अपील के बावजूद कोई राहत नहीं दी गई.
महाराष्ट्र के एक हॉस्टल में आजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां सोशल वेलफेयर हॉस्टल से चार छात्राओं को केवस इस वजह से हॉस्टल से निकाल दिया गया क्योंकि उन्होंने ऑनलाइन पिज्जा ऑर्डर किया था. यह महाराष्ट्र के पुणे के मोशी स्थित सोशल वेलफेयर हॉस्टल है. इस हॉस्टल में लगभग 250 छात्राएं रहकर पढ़ाई करती हैं.
महाराष्ट्र के पुणे के मोशी स्थित सोशल वेलफेयर हॉस्टल सोशल जस्टिस डिपार्टमेंट द्वारा संचालित किया जाता है. रिपोर्ट के अनुसार, हॉस्टल की वार्डन मीनाक्षी नरहरे को सूचना मिली कि छात्राओं के एक कमरे में ऑनलाइन पिज्जा ऑर्डर किया गया था. जब उन्होंने इस बारे में संबंधित छात्राओं से सवाल किया, तो सभी ने इससे इनकार कर दिया. इसके बावजूद, वार्डन ने छात्राओं पर कड़ी कार्रवाई करते हुए चारों को हॉस्टल से एक महीने के लिए निलंबित कर दिया.
अभिभावकों को बुलाकर किया गया अपमानित इस विवाद को और बढ़ाते हुए, हॉस्टल प्रशासन ने छात्राओं के माता-पिता को भी बुलाया और उनसे उनकी बेटियों की गलतियां गिनाईं. माता-पिता ने छात्राओं की ओर से अपील भी की, लेकिन अधिकारियों ने कोई राहत नहीं दी और छात्राओं को हॉस्टल छोड़ने का आदेश दे दिया.
नोटिस जारी कर दी थी चेतावनी हॉस्टल प्रशासन एक्शन से पहले इस मामले में आधिकारिक नोटिस जारी भी किया था. नोटिस में साफ लिखा था कि अगर 8 फरवरी 2025 तक कोई भी छात्रा यह नहीं बताती कि हॉस्टल में पिज्जा किसने मंगवाया था, तो सभी चार छात्राओं को एक महीने के लिए निष्कासित कर दिया जाएगा.
छात्राओं के भविष्य पर संकट! छात्राओं के निष्कासन से उनके शैक्षणिक करियर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. सोशल वेलफेयर हॉस्टल आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि की छात्राओं को रहने की सुविधा देता है, ताकि वे बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकें. ऐसे में इस तरह के कठोर फैसले से छात्राओं को मानसिक तनाव झेलना पड़ सकता है.

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