'पढूंगा तो इसी कॉलेज में....',एडमिशन के लिए 16 सालों से टेस्ट दे रहा 'चीन का सबसे जिद्दी आदमी'
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चीन के तांग शांगजुन ने 2009 में पहली बार चीन की बेहद कठिन कॉलेज प्रवेश परीक्षा गाओकाओ में भाग लिया. वह उसे क्वालिफाई नहीं कर सका लेकिन आज 16 साल बीत चुके हैं और शख्स 16 बार से परीक्षा दे चुका है.
चीन की जानी मानी Tsinghua University में प्रवेश पाने के प्रयास में लगातार 16 सालों से परीक्षा दे रहे एक 36 वर्षीय व्यक्ति को 'चीन का सबसे जिद्दी आदमी' के रूप में जाना जाने लगा है.
तांग शांगजुन ने 2009 में पहली बार चीन की बेहद कठिन कॉलेज प्रवेश परीक्षा गाओकाओ में भाग लिया.उन्होंने 750 में से औसत 372 अंक हासिल किए, जो उनके सपनों के स्कूल, सिंघुआ विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए बहुत कम थे.लेकिन वह किसी और कॉलेज में एडमीशन को तैयार नहीं था, इसलिए फिर वहीं एग्जाम दिया.
2016 तक, उनका स्कोर सम्मानजनक 625 अंकों तक सुधर गया था, जो उनके प्रोविंस गुआंक्सी में कई यूनिवर्सिटीज में प्रवेश पाने के लिए काफी था, लेकिन वह अपनी पहली पसंद पर टिका.इसलिए वह अन्य सभी विश्वविद्यालयों को नज़रअंदाज़ करते हुए, साल-दर-साल इसमें लगा रहे, लेकिन कभी भी इतने नंबर नहीं ला पाए कि सिंघुआ युनिवर्सिटी में उन्हें एडमिशन मिल सके. 2019 में, तांग ने 750 में से 649 अंक हासिल कर लिए जिससे सिंघुआ में एडमिशन मिल सकता था लेकिन फिर भी उन दो प्रमुख विषयों में नहीं, जिसमें उन्हें एडमिशन चाहिए था. ये थे भौतिकी और रसायन विज्ञान.अधिकतर कैंडिडेट ने जो सबजेक्ट मिला एडजस्ट कर लिया लेकिन तांग अब भी नहीं माने.
दुर्भाग्य से,इसके आगे के सालों में उनका रिजल्ट खराब होता चला गया.लोगों कहने लगे कि बढ़ती उम्र के कारण अब उसकी याद्दाश्त कमजोर होती जा रही है जिससे उसका रिजल्ट खराब हो रहा है.चीन में 21वीं सदी शिक्षा अनुसंधान संस्थान के निदेशक ने तांग के मामले पर कमेंट करते हुए कहा-'उसे लगता है कि देश के शीर्ष प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में प्रवेश पाना एक बड़ी सफलता है, जिससे एक अच्छा जीवन जीने में मदद मिलेगी, लेकिन जीवन में सफल होने के कई तरीके हैं.अपनी क्षमता से परे किसी टारगेट को लेकर जिद करने के कभी कभी बुरी तरह असफलता हाथ लगती है.
पिछले 16 वर्षों में, तांग शानजुन ने अपने को और अपने बूढ़े माता-पिता को सपोर्ट करने के लिए अजीब नौकरियां की हैं. अब उन्हें समझ आया है कि उन्हें यूनिवर्सिटी में एडमिशन की जिद छोड़ देने चाहिए और नौकरी ढूंढनी चाहिए .हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि वह अगले वर्ष फिर से कॉलेजके लिए परीक्षा देगा या नहीं.
अभिभावकों ने झिझकते हुए हमें बताया कि “हमने कई बार शिक्षकों के सामने इस मुद्दे को उठाया है, यहां तक कि सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल से भी इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन आश्वासन के अलावा हमें कुछ नहीं मिला है. मेरे बच्चों को कुछ ही दिनों में अपनी परीक्षा देनी है. हमने अपने रिश्तेदारों से पाठ्यपुस्तकें उधार ली हैं ताकि परीक्षा बिना किसी बाधा के हो सके.
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