
'नकली' से कैसे निपटे सरकार? लगा 58 हजार करोड़ का चूना, 16 लाख नौकरियों पर भी चोट!
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अंतरराष्ट्रीय अनुमानों के मुताबिक, फिक्की कास्केड का दावा है कि कोरोना के दौरान स्मगलिंग और नकली सामानों की घुसपैठ बढ़ी है. इसकी वजह से सप्लाई चेन प्रभावित हुई है, खपत के पैटर्न में भी आया बदलाव आया है. सरकार को टैक्स के तौर पर नकली सामानों और तस्करी की वजह से 58 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
अवैध कारोबार यानी स्मगलिंग (Smuggling) और नकली सामानों की घुसपैठ देश और दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं के लिए लगातार चुनौती पेश कर रही है. तमाम कोशिशों के बावजूद इस कारोबार में लगातार इजाफा हो रहा है. इसके बढ़ने से किसी भी अर्थव्यवस्था के समानांतर एक और इकोनॉमी चलने लगती है. इससे ना केवल विकास दर प्रभावित होती है, बल्कि बेरोजगारी भी बढ़ती है और मैन्युफैक्चरिंग जैसी गतिविधियां मंद पड़ जाती है.
अंतरराष्ट्रीय अनुमानों के मुताबिक, फिक्की कास्केड का दावा है कि कोरोना के दौरान स्मगलिंग और नकली सामानों की घुसपैठ बढ़ी है. इसकी वजह से सप्लाई चेन प्रभावित हुई है, खपत के पैटर्न में भी आया बदलाव आया है और साथ ही दूसरी समस्याएं भी देखने को मिली हैं.
अर्थव्यवस्था के विकास में रोड़ा
फिक्की कास्केड के सलाहकार और CBIC के पूर्व चेयरमैन पीसी झा का कहना है कि अवैध कारोबार पर लगाम लगाए बिना अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर पहुंचाने का लक्ष्य हासिल करना सरकार के लिए मुश्किल है. इसके लिए सरकार को नकली सामानों और तस्करी के कारोबार को रोकने के लिए हर एक सेगमेंट के हिसाब से काम करना चाहिए, जिसमें ज्यादा तस्करी वाले सामानों के सेगमेंट पर सबसे पहले कार्रवाई की जानी चाहिए.
ढाई लाख करोड़ का अवैध कारोबार
भारत के लिहाज से बात करें तो यहां पर 5 सेक्टर्स में इसका सबसे ज्यादा बोलबाला है. फिक्की कास्केड के मुताबिक, इनमें मोबाइल फोन, घरों और निजी इस्तेमाल वाले FMCG प्रोडक्ट्स, पैकेज्ड FMCG प्रोडक्ट्स, तंबाकू उत्पाद और एल्कोहल युक्त पेय हैं. इन पांच सेक्टर्स में करीब 2.60 लाख करोड़ रुपये का अवैध कारोबार होने का अनुमान है. इस अवैध कारोबार में भी करीब 75 फीसदी हिस्सेदारी FMCG की है.

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