'देश छोड़ भाग गए असद, रूस भी नहीं आया बचाने...', सीरिया की बगावत पर बोले ट्रंप, पुतिन-जेलेंस्की को भी दिया संदेश
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डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन में तत्काल प्रभाव से युद्धविराम की मांग की है. उन्होंने कहा कि बहुत सारी जिंदगियां अनावश्यक रूप से बर्बाद हो रही हैं, बहुत सारे परिवार नष्ट हो गए हैं, और अगर यह जारी रहा, तो यह बहुत बड़ा और बहुत बुरा हो सकता है. इस पागलपन को खत्म करने के लिए पुतिन और जेलेंस्की को पहल करनी चाहिए.
अमेरिका के भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (20 जनवरी, 2025 को शपथ लेंगे) ने यूक्रेन में तत्काल युद्धविराम की मांग की है. उन्होंने अपने निजी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रूथ सोशल' (Truth Social) पर एक पोस्ट में सीरिया के ताजा हालातों का जिक्र करते हुए कहा कि असद की सत्ता चली गई, बहुत सारी मौतें हो चुकी हैं, यूक्रेन में तत्काल सीजफायर होना चाहिए. रूस ने 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन में अपना विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था और उसके बाद से दोनों देश युद्ध में उलझे हुए हैं.
ट्रंप ने अपने पोस्ट में लिखा, 'असद चला गया. वह अपना देश छोड़कर भाग गया. उसके संरक्षक, व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व वाले रूस को अब उसकी रक्षा करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी. सीरिया के गृह युद्ध में रूस की दखलंदाजी का कोई कारण नहीं था. यूक्रेन की वजह से सीरिया में उनकी रुचि खत्म हो गई, जहां लगभग 600000 रूसी सैनिक घायल या मृत पड़े हैं. यूक्रेन युद्ध कभी शुरू ही नहीं होना चाहिए था, और अब यह हमेशा के लिए जारी रह सकता है.'
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डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा, 'रूस और ईरान इस समय कमजोर स्थिति में हैं. एक यूक्रेन युद्ध और खराब अर्थव्यवस्था के कारण कमजोर है, दूसरा गाजा और लेबनान में इजरायल की सफलता के कारण. जेलेंस्की और यूक्रेन को भी इस पागलपन को रोकने के लिए एक समझौता करना चाहिए. उन्होंने भी 400,000 सैनिकों और नागरिकों को खो दिया है. तत्काल युद्धविराम होना चाहिए और बातचीत शुरू होनी चाहिए. बहुत सारी जिंदगियां अनावश्यक रूप से बर्बाद हो रही हैं, बहुत सारे परिवार नष्ट हो गए हैं, और अगर यह जारी रहा, तो यह बहुत बड़ा और बहुत बुरा हो सकता है. मैं व्लादिमीर को अच्छी तरह जानता हूं. यह उनकी पहल का समय है. इसमें चीन मदद कर सकता है. दुनिया इंतजार कर रही है!'
बता दें कि सीरिया में बशर अल-असद के 24 साल के शासन और 13 साल से चल रहे गृह युद्ध का उस वक्त अंत हो गया, जब इस्लामी गुट हयात तहरीर अल-शाम के नेतृत्व वाले विद्रोही समूहों के गठबंधन ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति असद देश छोड़कर भाग गए. विद्रोही गठबंधन के लड़ाकों ने महज 10 दिनों में ही दमिश्क फतह कर लिया और ऐलान किया कि वे शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का हस्तांतरण चाहते हैं, और तब तक प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी अल-जलाली को कुर्सी पर बने रहने के लिए कहा है. अरब स्प्रिंग के दौरान बशर अल-असद ने अपनी सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों का जवाब क्रूर कार्रवाई के साथ दिया, जिससे देशव्यापी विद्रोह भड़क गया.
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