
'देश को और इस्लामिक...', मलेशिया की सरकार के किस कदम पर छिड़ा विवाद
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मलेशिया की संसद में मुफ्ती की शक्तियों को बढ़ाने वाला एक बिल लाया गया है. बिल को प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम का समर्थन हासिल है और यह आसानी से संसद में पास हो जाएगा. एक्टिविस्ट्स को डर है कि इससे लोगों के जीवन में मुफ्तियों और सरकार का दखल बढ़ जाएगा.
इस्लामिक देश मलेशिया में एक ऐसा बिल लाया गया है जिससे मुफ्तियों को कानूनी रूप से बाध्यकारी फतवा जारी करने की शक्ति मिल जाएगी. मुफ्ती विधेयक 2024 के पास होने के बाद धार्मिक मामलों पर फतवा अथवा धार्मिक फैसले जारी करने वाले मुफ्तियों की शक्तियां बढ़ जाएंगी और उनकी तरफ से जारी फतवों को मानना कानूनी रूप से बाध्य होगा, उनके फतवों पर किसी तरह की संसदीय निगरानी भी नहीं रहेगी.
इसे लेकर मलेशिया के वकीलों, कुछ इस्लामी नेताओं और धर्मनिरपेक्ष समूहों ने चिंता जताई है. उनका कहना है कि यह विधेयक मुसलमानों पर कठोर सुन्नी रूढ़िवादी नियम लागू करेगा और देश की बहुसांस्कृतिक संरचना के लिए खतरा पैदा करेगा. एक्टिविस्ट का कहना है कि ये कदम मलेशिया को इस्लामीकरण की दिशा की तरफ आगे बढ़ाएगा.
मुफ्ती विधेयक 2024 का उद्देश्य मुफ्तियों की भूमिका को फिर से परिभाषित कर उन्हें कानूनी रूप से बाध्य फतवा जारी करने की शक्तियां देना है. इस विधेयक को मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम का समर्थन हासिल है.
मुसलमानों के धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन को लेकर बढ़ा खतरा
मलेशिया का आधिकारिक धर्म सुन्नी इस्लाम है जो शफी संप्रदाय का पालन करता है. नए विधेयक में कहा गया है कि मुफ्ती को सुन्नी इस्लाम के शफी संप्रदाय का ही पालन करना होगा.
नए विधेयक को लेकर इस बात की चिंता जताई जा रही है कि इससे इस्लाम के अन्य संप्रदायों को मानने वाले मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हो सकता है.

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