
दूसरी लहर में कचरे का भी रिकॉर्ड, एक दिन में निकला 250 टन Covid Waste
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कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से तो देश जूझ ही रहा है लेकिन इसके अलावा भी सरकार और नागरिकों के लिए एक बड़ी चुनौती मुंह बाए खड़ी है. ये चुनौती है कोविड-19 कचरे की. कोरोना की दूसरी लहर से ना केवल देश में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है बल्कि बायोमेडिकल कचरे में भी जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है.
कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से तो देश जूझ ही रहा है लेकिन इसके अलावा भी सरकार और नागरिकों के लिए एक बड़ी चुनौती मुंह बाए खड़ी है. ये चुनौती है कोविड-19 से जुड़े कचरे की. कोरोना की दूसरी लहर से ना केवल देश में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है बल्कि बायोमेडिकल कचरे में भी जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है. (फोटोज क्रेडिट- Getty/ AFP/ Reuters/ PTI) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक, बायोमेडिकल वेस्ट यानि वो कचरा जो किसी भी इंसान या जानवर के इलाज के दौरान या किसी शोध की गतिविधि के दौरान अस्पताल में इकट्ठा होता है. बायोमेडिकल कचरे का सही मैनेजमेंट इंफेक्शन को फैलने से रोकता है और कोरोना काल में ये और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है. बायोमेडिकल कचरे में कैप्स, मास्क, प्लेसेंटा, पैथोलॉजिकल कचरा, प्लास्टर ऑफ पेरिस, ऑपरेट करने के बाद निकाले गए अंग, एक्सपायर हो चुकी दवाएं, रेडियोएक्टिव कचरा, ग्लव्ज, ब्लड बैग, डायलिसिस किट्स, आईवी सेट्स, यूरिन बैग्स, केमिकल कचरा जैसी कई चीजें शामिल हैं. साइंटिफिक तरीके से डिस्पोज ना करने पर ये पर्यावरण के साथ ही इंसानों के लिए भी खतरनाक हो सकता है.
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