दुनिया का पहला देश... जहां पेट्रोल से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें! छोटी सी कंट्री ने ऐसे बदली तस्वीर
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Electric Cars Overtake Petrol Cars in Norway: नॉर्वेजियन रोड फेडरेशन द्वारा जारी व्हीकल रजिस्ट्रेशन डाटा के अनुसार नॉर्वे में इलेक्ट्रिक वाहनों की तादात में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है. यहां पर इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या पेट्रोल वाहनों के मुकाबले ज्यादा हो गई हैं. इस सफलता के पीछे दूरदर्शिता और सालों की मेहनत है.
दुनिया भर में पेट्रोल-डीजल जैसे फ्यूल निर्भरता कम करने की कवायद हो रही है. इलेक्ट्रिक वाहनों को इसके लिए सबसे बेहतरीन विकल्प माना जा रहा है. इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए दुनिया के कई देश आगे आ रहे हैं. भारत में भी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी पर सरकार द्वारा सब्सिडी इत्यादि दी जा रही है. लेकिन अभी भारत जैसे देशों में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या सीमित है. लेकिन नॉर्वे (Norway) दुनिया का पहला ऐसा देश बन चुका है जहां इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या वहां मौजूदा पेट्रोल वाहनों के मुकाबले ज्यादा हो गई हैं.
नॉर्वेजियन रोड फेडरेशन द्वारा जारी व्हीकल रजिस्ट्रेशन डाटा के अनुसार नॉर्वे में इलेक्ट्रिक वाहनों की तादात में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है. नॉर्वे रोड फेडरेशन ने एक बयान में कहा कि नॉर्डिक देश में रजिस्टर्ड 2.8 मिलियन प्राइवेट पैसेंजर कारों में से 7,54,303 यूनिट्स पूरी तरह से इलेक्ट्रिक हैं. वहीं 7,53,905 यूनिट्स पेट्रोल वाहन हैं. इसके अलावा डीजल से चलने वाले वाहनों का रजिस्ट्रेशन सबसे कम हुआ है.
फेडरेशन के निदेशक ओविंड सोलबर्ग थोरसेन ने कहा, "यह ऐतिहासिक पल है, 10 साल पहले बहुत कम लोगों ने ऐसा सोचा था जब इलेक्ट्रिक कारों की तादात पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों के मुकाबले ज्यादा होगी. नॉर्वे जो कि एक प्रमुख तेल और गैस उत्पादक देश है, ने 2025 तक जीरो-इमिशन वाले वाहनों की बिक्री का लक्ष्म रखा है. बीते अगस्त में, नॉर्वे में रजिस्टर्ड नए वाहनों में रिकॉर्ड 94.3 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हुए हैं.
कैसे हुआ ये कमाल:
नॉर्वे ने इस सफलता की नींव काफी सालों पहले ही रख दी थी. 1990 के दशक की शुरुआत से ही वहां की सरकार और स्थानीय लोगों ने समझ लिया था इलेक्ट्रिक वाहन ही भविष्य हैं. ऐसे में नॉर्वे की संसद ने एक राष्ट्रीय लक्ष्य तय किया गया कि 2025 तक बेची जाने वाली सभी नई कारें शून्य-उत्सर्जन (इलेक्ट्रिक या हाइड्रोजन) होनी चाहिए. 2022 के अंत तक, नॉर्वे में रिजस्टर्ड कारों में से 20 प्रतिशत से अधिक बैटरी इलेक्ट्रिक (BEV) थीं. 2022 में बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों की बाजार हिस्सेदारी 79.2 प्रतिशत थी.
इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की योजनाएं दुनिया के कई देशों में चल रही हैं. लेकिन 55 लाख लोगों की आबादी वाले इस देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति सरकार और आवाम दोनों ने जो जागरूकता दिखाई वो सबसे अलग है. सरकार ने EV को प्रोत्साहित करने वाले कई नई योजनाओं को शुरू किया, जिससे न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी को किफायती और आसान बनाया बल्कि इसकी डेली रनिंग कॉस्ट को भी काफी कम किया. इसके लिए तमाम तरह के छूट दिए गए.
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