दिल्ली-NCR समेत नॉर्थ इंडिया में बढ़ गई ठंड, IMD ने जारी किया अलर्ट
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आज फिर उत्तर भारत में मौसम ने अपने तेवर दिखाएं . जहां पहाडो़ं में जमकर भर्फबारी हो रही है. वहीं मैदानी इलाकों में कोहरे के साथ कंपकांपाने वाली सर्दी है. राजधानी सुबह घंटों धुंध की चादर में छुपी रही. देश के अधिकांश हिस्से कड़कड़ाती ठंड और घने कोहरे की चपेट में हैं. दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तर भारत के बाकी राज्यों में ठंड अपने चरम पर है. राजधानी दिल्ली में अगले कुछ दिनों तक तापमान कम रहने और बारिश की संभावना है.
भारत में धीरे-धीरे HMPV वायरस के मामले बढ़ रहे हैं. देश में अब तक इस वायरस के 12 मामले सामने आए हैं. चीन से शुरू हुए इस वायरस की जद में अब आसपास के कई देश भी आ गए हैं. ऐसे में इस वायरस का चीन में क्या असर हैं इस पर गौर करने की जरूरत है. कई रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि चीन दावे कर रहा है कि इस समय अस्पतालों में जो मरीज भर्ती हैं, वे सामान्य फ्लू से जूझ रहे हैं. सामान्य फ्लू और एचएमपीवी के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं. ऐसे में चीन को लेकर भ्रम भी फैलाया जा रहा है.
2004 में कांग्रेस के भीतर गहरे मतभेद उभरकर सामने आए जब पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का निधन हुआ. उनके अंतिम संस्कार को लेकर विवाद छिड़ा, कांग्रेस और गांधी परिवार के बीच खटास सामने आई. परिवार की दिल्ली में अंतिम संस्कार की इच्छा के बावजूद, राव का अंतिम संस्कार हैदराबाद में हुआ, जिससे पार्टी में तनाव और बढ़ गया.
बीजेपी विधायक नितेश राणे ने विवादित बयान देते हुए कहा कि हम ईवीएम की वजह से चुनाव जीते हैं और हमने इस बात से कभी इनकार नहीं किया है, पर विपक्ष ईवीएम के मीनिंग को समझने में नाकाम रहा. इसका मतलब है एवरी वोट अगेंस्ट मुल्ला. वह हमेशा ईवीएम को दोष देते हैं. वे ईवीएम का मतलब नहीं समझते. उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा कि हाल के चुनावों में हिंदुओं ने किस संदर्भ में मतदान किया.
मुंबई में टॉयज ज्वेलर्स नामक कंपनी ने 13 करोड़ 48 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है, जिसमें कंपनी ने 6% साप्ताहिक रिटर्न का वादा कर निवेशकों से रुपये जमा कराए, लेकिन बाद में भुगतान रोक दिया. भाजपा नेता किरीट सोमैया ने इसे 1000 करोड़ रुपये तक का घोटाला बताया. पुलिस कमिश्नर से मिलने के बाद मामले की जांच आर्थिक अपराध विभाग को दी गई.
प्राचीन काल में प्रयाग गंगा और यमुना के संगम क्षेत्र पर इसके किनारे फैला एक विस्तृत वन क्षेत्र था. इसे प्रयागवन के नाम से जाना जाता था. नगरीय सभ्यता इससे काफी दूर थी और इस दौरान यह ऋषियों के तपोवन के लिए सटीक जगह रही थी. लेखक गोविंद कुमार सक्सेना अपनी पुस्तक 'प्रयाग महाकुंभ' में लिखते हैं कि, 'प्रयाग वस्तुतः एक विस्तृत तपोभूमि ही थी. जिसमें अठ्ठासी हजार ऋषि मुनियों के आश्रम थे.