दिल्ली चुनाव और नई दिल्ली सीट को लेकर अरविंद केजरीवाल के नहले पर वित्त मंत्री का दहला
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अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिनों पहले मिडिल क्लास के लिए एक अलग घोषणा पत्र जारी कर बीजेपी को चैलेंज दे दिया था. बजट में इनकम टैक्स स्लैब बढ़ाने के साथ वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने ऐसी गेंद फेंकी है जिससे आम आदमी पार्टी के बोल्ड होने का खतरा बढ़ गया है.
लोक फाउंडेशन और सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा 2014 में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि दिल्ली के 64% लोगों ने खुद को मध्यम वर्ग का हिस्सा मानते थे. इसी तरह, लोकनीति-CSDS के 2015 के दिल्ली चुनाव के बाद किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि 71.6% उत्तरदाताओं ने खुद को मध्यम वर्ग का हिस्सा माना. मतलब सीधा है कि जिस पार्टी को मध्य वर्ग का सपोर्ट मिलेगा वही पार्टी दिल्ली में सरकार बनाने के नजदीक होगी. दिल्ली विधानसभा चुनावों में मध्यवर्ग की बहुत बड़ी भूमिका को देखते हुए शायद केंद्र सरकार ने वो कर दिखाया है जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को भी उम्मीद नहीं रही होगी केंद्र सरकार इतना बड़ा तोहफा दिल्ली की जनता को ध्यान में रखते हुए पूरे देश को दे दिया.
1- क्या अरविंद केजरीवाल के मंसूबे पर पानी फिरेगा?
जिस समय पूरा देश वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन का बजट स्पीच सुन रहा था आम आदमी पार्टी के ट्वीटर हैंडल से अरविंद केजरीवाल मध्यवर्ग के लिए सात मांग रख रहे थे. हालांकि इस तरह की मांग वो पिछले 2 हफ्तों में कई बार कर चुके थे. 23 जनवरी को, दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने मिडल-क्लास का घोषणापत्र जारी किया, जिसमें केंद्र सरकार से कई मांगें की गईं थीं. जैसे कि शिक्षा और स्वास्थ्य बजट बढ़ाना और कर छूट की सीमा को बढ़ाना. आज सुबह भी आम आदमी पार्टी अपने एक्स हैंडल से अरविंद केजरीवाल की इसी मांग को दुहरा रही थी. इन डिमांड्स में उन्होंने इनकम टैक्ट स्लैब की सीमा 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने की डिमांड रखी. विपक्ष अक्सर उस संख्या को सामने रखता है जिस नंबर तक कभी भी सत्तारूढ़ पार्टी पहुंच न सके. पर इस बार हो गया उल्टा. जितना आम लोगों और विपक्ष के नेताओं को यकीन न था उससे अधिक मिल गया. सरकार ने 12 लाख तक आय की सीमा को टैक्स मुक्त कर दिया है.इस तरह वित्तमंत्री का यह फैसला दिल्ली की राजनीति में अरविंद केजरीवाल के नहले पर दहला पड़ गया है.
2-केजरीवाल के लिए क्या मुश्किल हो सकती है नई दिल्ली सीट?
नई दिल्ली सीट पर 2020 में यहां 1,46,000 हज़ार मतदाता थे. अब ये संख्या 1,90,000 हज़ार के आसपास पहुंच चुकी है. इस एरिया में अधिकतर सरकारी कार्यालय हैं और आस पास की बस्तियों में उनके कर्मचारी रहते हैं. कुछ झुग्गी बस्तियों और कॉलोनियों को छोड़कर अधिकतर इलाक़ा पॉश है जहां रईस रहते हैं या अपर मिडिल क्लास और मिडिल क्लास की आबादी है . सांसदों के सरकारी आवास भी इस इलाक़े में आते हैं. इस एरिया में केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों के सरकारी क्वार्टर बड़ी तादाद में हैं. जाहिर है कि अधिकतर आबादी मिडिल क्लास की ही है. इन कर्मचारियों को लुभाने के लिए केंद्र सरकार पहले ही कर्मचारियों को लुभाने के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर चुकी है. दूसरी तरफ झुग्गियों और गरीब तबके की राजनीति करने वाली आम आदमी पार्टी को भी इस बार मिडिल क्लास याद आ गया है. फ्रीबीज को बेस बनाकर बार-बार सरकार बनाने वाले अरविंद केजरीवाल ने मिडिल क्लास के फायदे के लिए केंद्र सरकार से 7 डिमांड रख दिए. अरविंद केजरीवाल अब टैक्स टेरररिज्म की चर्चा छेड़ दी है. केजरीवाल कहते हैं कि मिडिल क्लास को हमारे देश में सबसे ज्यादा परेशान किया जाता है. मिडिल क्लास वालों की 50 प्रतिशत से ज्यादा आमदनी टैक्स देने में चली जाती है. जाहिर है कि सरकार ने बजट में जो फैसले किए हैं वो अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किल खड़ी करेंगे. वो चुनावी आचार संहिता का हवाला देकर इसका विरोध भी नहीं कर सकते हैं. क्योंकि कर्मचारियों के फायदे की बात है. इसके पहले आंठवें वेतन आयोग के गठन की सिफारिश पर भी उन्होंने कभी चुनावी आचार संहिता का उदाहरण देकर विरोध नहीं किया था. जाहिर है कि इनकम टैक्स का स्लैब बढ़ाए जाने के बारे में भी वे वही करने वाले हैं जो पहले किया था.
3- मध्यवर्ग की घोषणाओं से पूरी दिल्ली प्रभावित हो सकती है
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