दिल्ली के आधे जोन में शराब दुकानें बंद, लाइसेंस लौटा रहे वेंडर, एक महीना करना होगा इंतजार
AajTak
Delhi Liquor News: दिल्ली में एक महीने का एक्सटेंशन के बावजूद शराब की दुकान चलाने वाले वेंडर अपने लाइसेंस लौटा रहे हैं. अब तक 32 में से 16 जोन के वेंडरों ने अपने लाइसेंस लौटा दिए हैं. इसका असर ये हो रहा है कि शराब की दुकानें बंद होती जा रहीं हैं. 31 जुलाई तक 468 दुकानें थीं, लेकिन 2 अगस्त तक सिर्फ 343 दुकानें ही बचीं.
Delhi Liquor News: जिस दिल्ली में कुछ दिन पहले तक शराब पर डिस्काउंट मिल रहा था, एक बोतल पर एक फ्री मिल रही थी, क्या अब वहां शराब का संकट आने वाला है? सवाल इसलिए, क्योंकि एक महीने का एक्सटेंशन देने के बाद भी एक-एक करके लाइसेंस सरेंडर हो रहे हैं. अब तक 16 जोन के लाइसेंस सरेंडर हो चुके हैं. सिर्फ 343 दुकानें ही खुल रहीं हैं. जो खुल रहीं हैं, वहां भी शराब की शॉर्टेज की शिकायत सामने आ रही है.
दिल्ली में शराब ठेकेदारों का लाइसेंस 31 जुलाई को खत्म हो गया था. शराब की किल्लत न हो, इसके लिए इनका लाइसेंस एक महीने के लिए बढ़ाया गया था. हालांकि, ठेकेदार एक्सटेंशन के बावजूद लाइसेंस का सरेंडर कर रहे हैं.
न्यूज एजेंसी ने अधिकारियों के हवाले से बताया है कि एक्सटेंशन के बावजूद 6 जोन के ठेकेदारों ने लाइसेंस लौटा दिए हैं. अब तक 16 जोन के ठेकेदार लाइसेंस लौटा चुके हैं. इसका असर ये हो रहा है कि दिल्ली में शराब की दुकानें बंद होती जा रहीं हैं. 31 जुलाई तक राजधानी में 468 दुकानें थीं, जबकि 2 अगस्त तक सिर्फ 343 दुकानें ही बचीं.
दरअसल, दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी शुरू से ही विवादों में थी. ये पॉलिसी 17 नवंबर 2021 को लागू हुई थी. इस पॉलिसी के तहत दिल्ली में सारी शराब की दुकानें निजी हाथों को सौंप दी गई थी. इनके लाइसेंस 31 जुलाई को एक्सपायर हो गए थे. लेकिन, राजधानी में शराब का संकट न खड़ा हो, इसके लिए दिल्ली सरकार ने 31 अगस्त तक लाइसेंस बढ़ाने का प्रस्ताव उपराज्यपाल वीके सक्सेना को भेजा था. उपराज्यपाल ने भी इसकी मंजूरी दे दी. लेकिन, उसके बावजूद शराब ठेकेदार लाइसेंस लौटा रहे हैं.
आधे जोन में शराब की दुकानें नहीं
दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी 2021-22 के तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए थे. हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें हो सकती थीं. कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं. हालांकि, नई पॉलिसी आने के 8 महीने बाद भी लगभग 644 दुकानें ही खुल सकी थीं.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.