दिल्ली का शिक्षा बजट 5 साल में 4936 करोड़ बढ़ा फिर भी सरकारी स्कूलों में क्यों घटे बच्चे? LG ने मुख्य सचिव से मांगी रिपोर्ट
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दिल्ली के राज्यपाल वी के सक्सेना ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. दिल्ली की नई शराब नीती में जांच की अनुमति देने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि उन्होंने स्कूलों में शौचलयों को क्लास रूम दिखाकर घोटाला करने का मुद्दा उठा दिया. अब उन्होंने केजरीवाल सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण 2021-2022 के आधार पर ही सरकारी स्कूलों में बच्चों की अनुपस्थिति और दाखिल घटने पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने केजरीवाल सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण 2021-2022 में प्रकाशित आंकड़ों को लेकर चिंता जाहिर की है, शिक्षा पर खर्च में वृद्धि के बावजूद सरकारी स्कूलों में दाखिले में गिरावट और बच्चों की अनुपस्थिति बढ़ी है. उपराज्यपाल कार्यालय ने सोमवार को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस मामले में प्राथमिकता के आधार पर स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही कहा कि विसंगति की व्यापक जनहित में जांच की जानी चाहिए.
उपराज्यपाल कार्यालय ने सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि 2014-15 में शिक्षा क्षेत्र में 6,145 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जबकि 2019-20 में 11,081 करोड़ रुपये खर्च किए गए. इसके बावजूद स्कूलों में दाखिले में गिरावट आई और छात्रों उपस्थिति काफी कम रही.
23 हजार एडमिशन कम हो गए
मुख्य सचिव को लिख पत्र में कहा गया है कि सरकार का हर साल हर छात्र पर 2015-16 में 42,806 रुपये खर्च था, जो 2019-20 में बढ़कर 66,593 रुपये हो गया है फिर भी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दाखिलों की संख्या 2014-15 में 15.42 लाख से घटकर 2019-20 में 15.19 लाख हो गई.
6 लाख बच्चे स्कूलों में अनुपस्थित
एलजी ने लेटर में कहा,'राज्य सरकार द्वारा शिक्षा बजट में पर्याप्त वृद्धि के बावजूद, यह देखा गया है कि इसी अवधि के दौरान दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दाखिलों की संख्या 2014-15 की 15.42 लाख से घटकर 2019-20 में 15.19 लाख हो गई.दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों का प्रतिशत घट रहा है. छात्रों की उपस्थिति का प्रतिशत 2016-17 में 55% था जो 2019-20 में बढ़कर 61% हो गया है. यानी करीब बच्च्चे 6 लाख बच्चों स्कूल में उपस्थिति नहीं हो रहे हैं.
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