दलाई लामा ने PM मोदी को लिखा पत्र, नए नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना पर दी बधाई
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को राजगीर स्थित नालंदा यूनिवर्सिटी के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. में गुप्त सम्राट कुमार गुप्त प्रथम ने की थी. बाद में इसे हर्षवर्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण मिला.
तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने बिहार के राजगीर में नए नालंदा विश्वविद्यालय के कैंपस के उद्घाटन को लेकर PM को बधाई दी है. दलाई लामा ने पत्र में नालंदा विश्वविद्यालय के इतिहास का जिक्र किया. उन्होंने लिखा, शिक्षा के केंद्र के रूप में मूल नालंदा विश्वविद्यालय पूर्व में सूर्य की तरह चमकता था. कठोर अध्ययन, चर्चा और वाद-विवाद पर आधारित शिक्षा नालंदा में फली-फूली, जिसने एशिया भर से दूर-दूर से छात्रों को आकर्षित किया. छात्रों ने दर्शन, विज्ञान, गणित और चिकित्सा के अलावा अहिंसा और करुणा की सदियों पुरानी भारतीय परंपराओं के बारे में सीखा, जो आज की दुनिया में न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि आवश्यक भी हैं.'
'मैं कामना करता हूं कि यह और समृद्ध हो' तिब्बतियों के धर्मगुरु ने लिखा कि इन सकारात्मक गुणों के अलावा, नालंदा में छात्रों ने मन और भावनाओं के कामकाज की गहन समझ विकसित की. दलाई लामा ने लिखा, 'मैं भारत भर में और दूर-दूर तक के युवाओं में प्राचीन भारतीय ज्ञान और बुद्धिमत्ता में बढ़ती रुचि से उत्साहित हूं. इसमें एक अधिक दयालु दुनिया के निर्माण में योगदान करने की बहुत बड़ी क्षमता है. चूंकि मैं प्राचीन भारतीय ज्ञान में अधिक रुचि और जागरूकता पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं, इसलिए यह अद्भुत है कि इस ऐतिहासिक स्थान पर एक नया नालंदा विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है. मैं कामना करता हूं कि यह समृद्ध और समृद्ध हो.'
PM मोदी ने 19 जून को किया उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को राजगीर स्थित नालंदा यूनिवर्सिटी के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. में गुप्त सम्राट कुमार गुप्त प्रथम ने की थी. बाद में इसे हर्षवर्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण मिला. विशेषज्ञों के अनुसार, 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों ने इस विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया था. इससे पहले करीबन 800 सालों तक इन प्राचीन विद्यालय में पढ़ाई हुई है.
पटना से 90 किलोमीटर और बिहार शरीफ से करीब 12 किलोमीटर दूर दक्षिण में आज भी इस विश्व प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय के खंडहर स्थित हैं. इस विश्विविद्याल को तक्षशिला के बाद दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है. आवासीय परिसर के तौर पर यह पहला विश्वविद्यालय है, यह 800 साल तक अस्तित्व में रहा.
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