
तालिबान का आना चीन के लिए क्यों है खुशखबरी?
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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से दुनिया के देश चिंतित हैं लेकिन माना जा रहा है कि इससे चीन और पाकिस्तान उतने असहज नहीं हैं. चीन की नजरें अब अफगानिस्तान पर हैं. चीन बॉर्डर एंड रोड एनीशिएटिव के तहत अफगानिस्तान में निवेश करने की तैयारी में है.
तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है. अफगानिस्तान में तालिबान इतनी तेजी से अपना नियंत्रण स्थापित कर लेगा, ये शायद ही किसी ने सोचा होगा. अधिकतर गवर्नरों ने बिना जंग के ही तालिबान के सामने सरेंडर कर दिया. तालिबान के काबुल पहुंचते ही राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भी मुल्क छोड़ दिया. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अफरा-तफरी का माहौल है. काबुल से उड़ने वाले सभी विमान भरे हुए हैं. लोग काबुल से भागकर पड़ोसी देश जाना चाहते हैं, जहां भी जगह मिले. भारत, अमेरिका, कतर, संयुक्त राष्ट्र, उज्बेकिस्तान, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, जर्मनी, नॉर्वे, ताजिकिस्तान, तुर्की और तुर्कमेनिस्तान सहित कई देश कह चुके हैं वो अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता को मान्यता नहीं देंगे. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से दुनिया के देश चिंतित हैं लेकिन माना जा रहा है कि इससे चीन और पाकिस्तान उतने असहज नहीं हैं. चीन ने तो इस बात के भी संकेत पहले ही दे दिए थे कि अगर अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में आता है तो वह मान्यता देने के लिए तैयार है. (फोटो-AP) चीन की नजरें अब अफगानिस्तान पर हैं. चीन के लिए मध्य एशिया तक पहुंचने का अफगानिस्तान सबसे बेहतर जरिया है. चीन बेल्ट एंड रोड एनीशिएटिव के तहत अफगानिस्तान में निवेश करने की तैयारी में है. पाकिस्तान में चीन की सबसे महत्वाकांक्षी चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर यानी सीपीईसी की सुरक्षा के लिए भी तालिबान का साथ चीन के लिए अहम है. चीन तालिबान नेताओं के साथ चर्चा कर चुका है. तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन पहले ही कह चुके हैं कि अगर चीन अफगानिस्तान में निवेश करता है तो तालिबान उसकी सुरक्षा की गारंटी देगा. चीन के विदेश मंत्री वांग यी से इसी महीने जब तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल मुलाकात के लिए पहुंचा था तो उन्होंने भी तालिबान को अफगानिस्तान की महत्वपूर्ण राजनीतिक और सैन्य ताकत करार दिया था. (फोटो-AP)More Related News

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.