!['झाड़ू' के साथ होता 'हाथ' तो कुछ और होती बात? दिल्ली की वो सीटें... जहां AAP को बीजेपी ने नहीं, Congress ने हराया!](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202502/67a7e6a2f08d5-exit-polls-predicted-a-thumping-win-for-the-bjp-in-delhi-082001785-16x9.jpg)
'झाड़ू' के साथ होता 'हाथ' तो कुछ और होती बात? दिल्ली की वो सीटें... जहां AAP को बीजेपी ने नहीं, Congress ने हराया!
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दिल्ली के नतीजे आने के बाद बड़ा सवाल जरूर उठ खड़ा हुआ है. वो है कि क्या आम आदमी पार्टी (AAP) को और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहिए था? और अगर 'हाथ' का साथ साथ तो दिल्ली में झाड़ू कितनी चलती? दिल्ली की 14 ऐसी सीटें हैं, जहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की हार सिर्फ कांग्रेस के वोट काटने के चलते हुई.
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और इस बार की चुनावी जंग ने राष्ट्रीय राजधानी की सियासी तस्वीर पूरी तरह बदल दी है. आम आदमी पार्टी (AAP), जो लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का सपना देख रही थी, उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 27 साल बाद ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए सत्ता पर कब्जा कर लिया. दूसरी ओर, कांग्रेस एक बार फिर शून्य पर सिमट गई, जिससे यह साफ हो गया कि दिल्ली में उसका पुनरुद्धार अब भी दूर की कौड़ी है. अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता में गिरावट, कांग्रेस के साथ गठबंधन न होने से वोटों का बंटवारा और बीजेपी की आक्रामक चुनावी रणनीति ने AAP की हार की पटकथा लिख दी.
दिल्ली के नतीजे आने के बाद एक बड़ा सवाल जरूर उठ खड़ा हुआ है. वो है कि क्या आम आदमी पार्टी (AAP) को और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहिए था? और अगर हाथ का साथ मिलता तो दिल्ली में झाड़ू कितनी चलती और क्या दोनों के साथ चुनाव लड़ने से मौजूदा चुनावी समीकरण बदल सकते थे? दरअसल, लोकसभा में बीजेपी को हराने के लिए तमाम विपक्षी दलों ने महागठबंधन INDIA का गठन किया. इसमें कांग्रेस और AAP भी शामिल रहे. लेकिन विधानसभा चुनाव आते-आते दोनों ही दल अलग-अलग मैदान में उतर गए. पहले हरियाणा तो अब दिल्ली में दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा, जिसका सीधा फायदा भाजपा को हुआ. नतीजन दोनों ही जगह बीजेपी की सरकार बन गई. हरियाणा में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के वोट काटे तो अब दिल्ली में इसका उलट देखने को मिला है.
कांग्रेस के चलते केजरीवाल, सिसोदिया जैसे AAP के बड़े चेहरों की हार
इस चुनाव में भाजपा को जबरदस्त फायदा हुआ, जबकि AAP को कई सीटों पर कुछ हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस का प्रदर्शन भले ही कमजोर ही रहा, लेकिन कई सीटों पर उसके वोट AAP के लिए गेमचेंजर साबित हो सकते थे. खुद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भाजपा के प्रवेश वर्मा से महज 4,089 वोटों के अंतर से हार गए. इसी तरह मनीष सिसोदिया और सौरभ भारद्वाज जैसे AAP के बड़े नेता बहुत कम अंतर से सीट हार गए. और इन सीटों पर इस अंतर से अधिक वोट कांग्रेस उम्मीदवारों के पाले में गए. यानी साफ है कि कांग्रेस से गठबंधन न होना AAP के लिए बड़ा नुकसान साबित हुआ है.
14 सीट पर कांग्रेस के वोट काटने से हारे AAP उम्मीदवार
AAP ने 70 में से 22 सीटें जीतीं, लेकिन इनमें से कई पर उसका वोट शेयर घटा. कांग्रेस ने कोई सीट नहीं जीती, लेकिन कई सीटों पर 5-15% तक वोट हासिल किए. भाजपा ने कई ऐसी सीटें जीतीं, जहां AAP और कांग्रेस के वोट बंटने से उसे फायदा हुआ. अगर AAP और कांग्रेस का गठबंधन होता, तो भाजपा के सामने कड़ी चुनौती हो सकती थी. कारण, दिल्ली की 14 ऐसी सीटें हैं, जहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की हार सिर्फ कांग्रेस के वोट काटने के चलते हुई. यानी इन सीटों पर बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को नुकसान पहुंचाया है.
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