जब कुंभ में नागा साधु और वैरागी संन्यासियों के बीच छिड़ गई थी जंग, पहले स्नान को लेकर हुई थीं सैकड़ों मौतें
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आज से करीब दो दशक पहले तक कुंभ की बागडोर अखाड़ों के हाथ में ही थी. तब अखाड़े ही कुंभ की पूरी व्यवस्था संभालते थे, लेकिन उस समय कुंभ मेले के दौरान अलग-अलग संप्रदायों की आपसी झड़प के मामले भी सामने आते रहते थे. अठारवीं शताब्दी के ऐसे ही एक किस्से के बारे में हम आपको इस रिपोर्ट में बता रहे हैं...
अठारहवीं शताब्दी तक कुंभ मेले का प्रबंधन अखाड़े ही संभाला करते थे. शाही स्नान, धार्मिक अनुष्ठान, कल्पवास, भजन-कीर्तन जैसी व्यवस्थाएं भी अखाड़ों के हाथों में थीं. पुलिस-प्रशासन से लेकर टैक्स कलेक्शन तक सब अखाड़े ही किया करते थे.
ये आजादी के पहले का दौर था, जब गुलामी की जंजीरों ने भारत को जकड़ रखा था. देश में ब्रिटिश राज चलता था. आज के जमाने जितनी सुख-सुविधाएं तो नहीं थीं, लेकिन फिर भी श्रद्धालुओं का ऐसा जमावड़ा लगता था कि भारत में राज कर रही ब्रिटिश हुकूमत के अफसर दंग रह जाते थे.
लड़ाई में तब्दील हो जाता था टकराव
अठारहवीं शताब्दी के समय मेले में स्नान के लिए पहुंचने वाले अलग-अलग संप्रदाय के लोगों के बीच टकराव भी देखने को मिल जाता था. कई बार तो ये टकराव लड़ाई में भी तब्दील हो जाता. भारत के इतिहास पर फारसी लेखक चतर मान कायथ की लिखी किताब चाहर गुलशन में भी कुंभ का जिक्र मिलता है.
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कुंभ में पहले स्नान को लेकर झगड़ा
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