
जंग से तबाह यूक्रेन को अपने पैरों पर खड़ा होने में कितना वक्त लगेगा?
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रूस-यूक्रेन जंग छिड़े सालभर से ज्यादा वक्त हुआ. कई यूक्रेनी शहर तबाह हो चुके. नागरिक पड़ोसी देशों में शरण ले रहे हैं. इस बीच एक अनुमान आया है कि इस एक साल में यूक्रेन को जो नुकसान हुआ, उसे भरने में 41 हजार करोड़ डॉलर और कई साल लग जाएंगे. ये भी तभी होगा, जब लड़ाई तुरंत रुक जाए. वैसे युद्ध के बाद 40% देशों में गृहयुद्ध छिड़ जाता है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच हाल में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मॉस्को का दौरा किया और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की. इसके साथ ही दो तरह के कयास लगने लगे, या तो जंग रुक जाएगी या फिर रूस और यूक्रेन से अलग बाकी देश भी इसमें शामिल हो जाएंगे. कुल मिलाकर ये तीसरे वर्ल्ड वॉर का अनुमान है. इस बीच मानवीय के साथ-साथ इकनॉमिक लॉस की भी गणना हो रही है.
वर्ल्ड बैंक ने इसका डेटा जारी किया है. उसके अनुसार बीते एक साल में जो नुकसान हुआ है, उसके रिकंस्ट्रक्शन और रिकवरी में लगभग 411 बिलियन डॉलर का खर्च आएगा. इसमें सड़कों, इमारतों और बिजली-पानी की रिपेयरिंग का खर्च शामिल है.
क्या कहता है डेटा? वर्ल्ड बैंक में यूरोप और सेंट्रल एशिया की वाइस प्रेसिडेंट एना जेर्डे ने माना कि इतने सारे पैसे आ जाएं तो भी रिकवरी एक दिन में नहीं होगी, बल्कि कई साल लग जाएंगे. बुधवार को जारी रिपोर्ट में माना गया कि इसी साल कीव को कम से कम 14 बिलियन डॉलर की जरूरत पड़ेगी ताकि वो प्राइमरी कंस्ट्रक्शन कर सके. वर्ल्ड बैंक की इस रिपोर्ट में यूक्रेन की सरकार भी शामिल हुई और बताया कि उसका क्या-क्या बड़ा नुकसान हुआ है. बीते साल सितंबर में भी नुकसान की भरपाई का डेटा निकाला गया था, जो लगभग 349 बिलियन डॉलर था, लेकिन पांच ही महीनों के भीतर इसमें 62 बिलियन का इजाफा हो गया.
विश्व युद्ध में बर्बाद हो गए थे कई देश दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप का बड़ा हिस्सा और एशियाई देश, खासकर जापान राख-मिट्टी और लाशों का ढेर बनकर रह गया था. रेलवे पटरियां उखाड़ी जा चुकी थीं, पुल टूटे हुए थे और लाखों मौतों के बीच लाखों लोग दूसरे देशों में शरणार्थी या मजदूर बनकर रह रहे थे. जर्मनी के बारे में माना गया कि वहां 70% हाउसिंग खत्म हो चुकी थी.
यहां तक कि रूस (तब सोवियत संघ) के 17 शहर और 70 हजार गांव तबाह हो चुके थे. नीदरलैंड में लोग ट्यूलिप खासकर जिंदा थे तो उत्तरी चीन से जंगली जानवरों को पकड़कर खाने की खबरें आ रही थीं. ये सबकुछ उस दुनिया में था, जो कथित तौर पर साइंस और मेडिसिन में काफी आगे आ चुकी थी.
अमेरिका ने की फंडिंग साल 1947 में यूरोपियन रिकवरी प्लान आया. अमेरिका इसे लीड कर रहा था और अच्छी-खासी फंडिंग करने वाला था. बाद में इसी योजना को मार्शल प्लान कहा गया. इसके तहत अगले पांच सालों के भीतर 13 बिलियन डॉलर उन देशों को दिए गए, जो बर्बाद हो गए थे. साथ में तकनीकी सहायता भी मिली, ताकि रेलवे लाइन, पुल और बिजली-पानी बहाल हो सके. इसमें सबसे ज्यादा मदद जर्मनी को दी गई. अमेरिका के बाद फ्रांस और यूके ने भी उसकी सहायता की ताकि नया जर्मनी बस सके. अगले लगभग 5 साल रिकंस्ट्रक्शन में लगे, जिसके बाद ये देश उस पॉइंट पर पहुंच सका, जहां वो विश्व युद्ध से पहले था.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.