
जंगी जहाज चलाने वाले माउंटबेटन की समंदर में ही हुई थी हत्या... एक धमाका और 15 मिनट का वो राज
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भारत के आखिरी वायसराय और ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्य लॉर्ड माउंटबेटन की हत्या 27 अगस्त 1979 को कर दी गई थी. जब उनकी हत्या हुई थी, तब वो एक नाव में सवार थे. मिनटों में ही पूरा जहाज उड़ गया था और तुरंत ही माउंटबेटन की मौत हो गई थी. लेकिन उनकी हत्या के 45 साल बाद भी कुछ राज अब भी अनसुलझे हैं.
'आखिर कौन एक बूढ़े आदमी को मारना चाहेगा?' लॉर्ड माउंटबेटन ने जब ये बातें कही थीं, तब उन्हें शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि कोई है जो उनकी हत्या की साजिश रच रहा है. माउंटबेटन को बार-बार जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं, लेकिन इसके बावजदू उन्होंने सुरक्षा नहीं ली. नतीजा ये हुआ कि 1979 की 27 अगस्त को उनकी हत्या कर दी गई थी. बीच समंदर में उनकी नाव को उड़ा दिया गया था. तब एक चश्मदीद ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया था, 'एक मिनट पहले वहां पर नाव थी और अगले मिनट ऐसा लग रहा था जैसे पानी पर माचिस की बहुत सारी तीलियां तैर रही हों.'
'माउंटबेटनः देयर लाइव्स एंड लव्स' के लेखक एंड्र्यू लोनी ने बीबीसी को बताया था कि पचास पाउंड जेलिग्नाइट फट गया था. इससे लकड़ी, मेटल, कुशन, लाइफजैकेट, जूते और सबकुछ हवा में उड़ गया था. चंद सेकंड में ही वहां सन्नाटा छा गया.
उनकी हत्या प्रोविजनल आयरिश रिपब्लिकन आर्मी (IRA) ने की थी. रिपब्लिकन आर्मी उत्तरी आयरलैंड से ब्रिटिश सेना को खदेड़ने के लिए बनी थी.
नेवी अफसर से भारत के आखिरी वायसराय तक
जब माउंटबेटन की हत्या की गई, तब उनकी उम्र 79 साल हो चुकी थी और उत्तरी आयरलैंड में ब्रिटिश सेना में उनकी कोई भूमिका नहीं थी. लेकिन माउंटबेटन एक प्रभावशाली व्यक्ति थे. वो भारत के आखिरी वायसराय थे. उनकी देखरेख में ही भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ.
माउंटबेटन की पहचान सिर्फ इतनी ही नहीं थी. माउंटबेटन क्वीन विक्टोरिया के परपोते थे. ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ II के चचेरे भाई थे. पहले विश्व युद्ध के दौरान उनके पिता ने परिवार का नाम बैटनबर्ग से बदलकर माउंटबेटन रख लिया. इस तरह से उनका नाम लॉर्ड लुईस माउंटबेटन पड़ा.

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