
चुनाव के बाद दिल्ली में यमुना की सफाई फिर से शुरू, एलजी ने दिया आदेश, जानें इसे क्यों रोका गया था
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दिल्ली सरकार अगले दो वर्षों में शहर के सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs), जिनमें छह नए प्लांट भी शामिल हैं, को पूरी तरह कार्यशील बनाएगी ताकि यमुना में बहने वाले सीवेज और औद्योगिक कचरे को पूरी तरह रोका जा सके. दिसंबर 2027 तक यमुना को पूरी तरह स्वच्छ बनाने का लक्ष्य रखा गया है. यह जानकारी सोमवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव नवीन चौधरी ने दी.
दिल्ली में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद यमुना की सफाई का काम शुरू हो गया है. दिल्ली के एलजी ने नदी की सफाई का काम शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं और कालिंदी कुलंज घाट पर नदी की सफाई का काम शुरू हो गया है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने यमुना सफाई अभियान के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसके बाद गाद हटाने और खरपतवार निकालने के लिए आधुनिक मशीनें लगाई गई हैं. यमुना की सफाई को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ केजरीवाल सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के चलते दिल्ली में नदी की सफाई का काम रुक गया था.
क्यों रुक गया था यमुना की सफाई का काम?
यमुना की सफाई को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के फैसले के बाद जनवरी 2023 में एक हाई लेवल कमेटी बनाई थी. NGT ने दिल्ली के उपराज्यपाल को इस कमेटी का चेयरमैन बनाया था. एलजी को चेयरमैन बनाने का उद्देश्य ये था कि यमुना की सफाई के लिए उन सभी एजेंसियों को एक साथ लाया जा सके जो उसके लिए जिम्मेदार थीं.
हालांकि तब की अरविंद केजरीवाल सरकार NGT के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई. दिल्ली सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि यमुना में प्रदूषण का मुद्दा गंभीर तो है लेकिन इसके ऊपर दिल्ली सरकार का बजट खर्च होगा.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने क्या दलील दी?
इसी दलील को आधार बनाकर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और चुनी हुई सरकार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के सामने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यह दलील दी कि यमुना में प्रदूषण का मुद्दा काफी गंभीर होता जा रहा है. इसके पीछे वजह यह भी है कि दिल्ली में कई सारी एजेंसियां यमुना की सफाई का काम करती हैं. इसलिए जवाबदेही तय करने के लिए उपराज्यपाल के नेतृत्व में कमेटी बनाई गई है.

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