
चीन में 3 साल के बच्चे की मौत से भड़के लोग, पिता का आरोप- लॉकडाउन नियमों ने ली जान
AajTak
यह मामला चीन के गांसू प्रांत का है, जहां कोरोना की वजह से पिछले कई महीनों से लॉकडाउन लगा है. पीड़ित पिता का आरोप है कि लॉकडाउन के चलते उनके तीन साल के बच्चे की मौत हो गई. इसके लिए उन्होंने चीन की बेहद सख्त कोविड-19 नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है.
चीन में कोरोना का कहर एक बार फिर लौट आया है. आलम यह है कि चीन के वुहान सहित कई शहरों में दोबारा लॉकडाउन लगाना पड़ा है, लेकिन यह लॉकडाउन एक परिवार पर दुखों का पहाड़ बनकर टूटा है. आरोप है कि चीन में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से तीन साल के एक बच्चे की मौत हो गई है. बच्चे के पिता ने ही यह आरोप लगाया है.
यह मामला चीन के गांसू प्रांत का है, जहां कोरोना की वजह से पिछले कई महीनों से लॉकडाउन लगा है. पीड़ित पिता का आरोप है कि लॉकडाउन के चलते उनके तीन साल के बच्चे की मौत हो गई. इसके लिए उन्होंने चीन की बेहद सख्त कोविड-19 नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है.
पिता का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से उनके बेटे को समय पर इलाज नहीं मिल पाया, जिससे उसकी मौत हो गई. इस मामले के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोग सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं.
चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर पीड़ित पिता तुओ शीले ने कहा, मुझे निजी तौर पर लगता है कि कोरोना से मेरे बच्चे की मौत हुई है.
तुओ ने बताया कि बीते मंगलवार आधीरात को गैस के धुएं की वजह से ठीक से नहीं दिखने पर उनकी पत्नी फिसलकर गिर गई थी, इसके बाद उनका ध्यान अपने बेटे की तरफ गया, जिसकी अचानक तबीयत खराब हो गई थी. तुओ ने बताया कि उसने कई बार एंबुलेंस और पुलिस को कॉल करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बन पाई.
उन्होंने बताया कि 30 मिनट के बाद मेरे बेटे की तबीयत और बिगड़ गई. तब मैंने खुद ही बेटे को सीपीआर ट्रीटमेंट दिया. इसके बाद वह बेटे को लेकर कम्युनिटी कंपाउड के एंट्रेंस तक लेकर दौड़े. लेकिन वहां मौजूद गार्ड ने उन्हें बाहर नहीं जाने दिया. इसके बजाए उसे एंबुलेंस को कॉल करने को कहा.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.